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पदं-१७, उद्देशकः-४, द्वार - नील- बंधुजीवे इवा, भवेयारूवे?, गो० ! नोइणढे समढे एत्तोजाव अमणामयरिया व वनेणं प०
काउलेस्सा णं भं० ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता?, गोयमा ! से जहानामएखदिरसारए इ वा कइरसारएइ वा धमाससारे इ वा तंबेइ वा तंबकरोडे इ वा तेवच्छिवाड़ियाएइवा वाइंगणिकुसुमे इ वा कोइलच्छदकुसुमे इ वा जवासाकुसुमे इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! नो इणढे समढे, काउलेस्सा णं एतो अनिट्टयरिया चेव जाव अमणामयरिया चेव,
तेउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता?, गोयमा! से जहानामए ससरुहिरए इवा उरभरुहिरे इ वा वराहरुहिरे इवा संबररुहिरे इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा इंदगोपे इ वा बालेंदगोपेइ वा बालदिवायरे इवा संझारागेइ वा गुंजद्धरागेइवाजातिहिंगुले इ वा पवालंकुरे इवा लक्खारसे इवा लोहियक्खमणी इवा किमिरागकंबले इवागयतालुएइवा चीणपिट्टरासी इवापरिजायकुसुमे इवाजासुमणकुसुमे इ वा किंसुयपुप्फरासीइ वारतुप्पले इवारत्तासोगे इवा रत्तकणवीरएइवा रत्तबंधुयजीवए इवा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! नो इणढे समझे, तेउलेसा णं एतो इट्टतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव बन्नेणं पन्नता,
पम्हले० भंते! केरिसिया वनेणं पन्नत्ता?, गोयमा! से जहनामए चंपे इ वा चंपयछल्ली इ वाचंपयभेदे इवा हालिदाइवा हालिद्दगुलियाइवाहालिद्दभेदे इ वा हरियाले इ वा हरियालगुलिया इ वा हरियालभेदे इ वा चिउरे इ वा चिउररागे इ वा सुवनसिप्पी इ वा वरकणगणिहसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लइकुसुमे इ वा चंपयकुसुमे इ वा कण्णणियारकुसुमे इ वा कुहंडयकुसुमे इवा सुवण्णजुहिया इवा सुहिरनियाकुसुमे इवा कोरिंटमल्लदामे इ वा पीतासोगेइ वा पीतकणवीरे इवा पीतंबंधुजीवए इवा, भवेयारूवे?, गोयमा ! नो इणढे समटे, पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया जाव मणामयरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता,
सुक्कलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता?, गोयमा! से जहानामए अंके इ वा संखे इवा चंदे इ वा कुंदे इ वा दगे इ वा दगरए इवा दधी इवा दहिघने इवा खीरे इवा खीरपूरए इवा सुक्कच्छिवाडिया इ वा पेहुणइमिंजिया इ वा धंतधोयरुप्पपट्टे इ वा सारदबलाहए इ वा कुमुददले इवा पोंडरीयदले इवा सालिपिडरासीति वा कुडगपुप्फरासीति वा सिंदुवारमल्लदामे इवा सेयासोए इवा सेयकणवीरे इ वा सेतबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवे ?, गो०! नो इणढे समझे, सुक्कलेसा णं एत्तो इट्टतरिया चेव मणुण्णयरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता,
एयाओणंभंते! छल्लेसाओ कइसु वन्नेसुसाहिजंति?, गोयमा! पंचसु वनेसु साहिजंति, तंजहा-कण्हलेसा कालए णं वन्नेणं साहिज्जति नीललेस्सा नीलवन्नेणं साहिज्जति काउलेस्सा काललोहिएणं वन्नेणं साहिज्जति तेउलेस्सा लोहिएणं वनेणं साहिजति पम्हलेस्सा हालिदएणं वन्नेणं सलाहिजइ सुक्कलेस्सा सुकिल्लएणं वन्नेणं साहिज्जति ।
वृ. 'कण्हलेसा णं भंते ! वण्णेणं केरिसिया पन्नत्ता' इत्यादि, कृष्णद्रव्यात्मिका लेश्या कृष्णलेश्या, कृष्णलेश्यायोग्यानिद्रव्याणि इत्यर्थः, तेषामेव वर्णादिसंभवात्न तुकृष्णद्रव्यजनिता भावरूपा कृष्णलेश्या, तस्या वर्णाद्ययोगात्,
भदन्त ! कीशी वर्णेन प्रज्ञप्ता ?, भगवानाह-गौतम ! स लोकप्रसिद्धो यथानामको 'जीभूत इति वा' जीमूतो बलाहकः, स चेह प्रावृट्प्रारम्भसमयभावी जलभृतो वेदितव्यः,तस्यैव
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