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________________ २६ प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्रम्-२-१५/२/-/४३७ एवमेगस्सणं भंते! मणूसस्स मणूसत्ते केवइया दबिंदिया अतीता, गो०! अनंता, केवइया बद्धलगा, गो० ! अट्ट, केवइया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थि, जस्सस्थि अट्ट वा सोलस वा चउवीसावा संखेजा वा असंखेजा वाअनंता वा, वाणमंतरजोइसिया जाव गेवेजगदेवत्ते जहा नेरइयत्ते, एगमेगस्स णं भंते ! मणूसस्स विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता? गो० ! कस्सइ अत्यि कस्सइ नस्थि, जस्सअस्थि अट्ट वा सोलस वा, केवइया बद्धेलगा? नस्थि, केवइया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थिकस्सइ नस्थि, जस्सऽस्थि अट्ठ वा सोलस वा, ___ एगगमेगस्स णं भंते! मणूसस्स वा सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवतिता दबिंदिया अतीता?, गो०! कस्सइ अत्यि कस्सइ नत्थि, जस्सस्थि अट्ट, केवइया बद्धलगा? नत्थि, केवइया पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, वाणमंतरजोतिसिए जहा नेरतिए।। सोहम्मगदेवेविजहानेरइए, नवरंसोहम्मगदेवस्स विजयवेजयंतजयंतापराजियत्ते केवइया अतीता?, गो० ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गो० ! कस्सइ अस्थि कस्सति नस्थि, जस्स अस्थि अट्ट वा सोलस वा, सव्वसिद्धगदेवत्तेजहानेरइयस्स, एवंजाव गेवेजगदेवस्स, सव्वट्ठसिद्धगताव नेतब्बी एगमेगस्स णं भंते ! विजयवेजयंतजयंतापराजितदेवस्स नेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो० ! अमंता, केवइया बद्धेलगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, नस्थि, एवंजाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ते मणूसत्ते अतीता अनंता, बद्धेल्लगा नत्थि, पुरेक्खडा अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा, वाणमंतरे जोइसियत्ते जहा नेरइयत्ते, सोहम्मगदेवत्तेऽतीता अनंता, बद्धेल्लगा नत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थेि, जस्स अस्थि अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते, विजयवेजयंतजयंअपराजितदेवत्ते अतीता कस्सइ अस्थि नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, केवतिया बद्धेल्लगा?, अट्ठ, केवतिया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थि, जस्स अस्थि अट्ट, एगमेगस्सणं भंते! विजयवेजयंत जयंतअपराजियदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो०! नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, एगमेगस्सणं भंते! सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स नेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो० ! अनंता, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, नथि, एवं मणूसवजं जाव गेवेजगदेवते, नवरंमणूसत्ते अतीता अनंता, केवइयाबद्धलगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, अट्ट, विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते अतीता कस्सति अस्थि कस्सति नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइय पुरेखडा?, नत्यि, एगमेगस्सणंभंते! सबट्टसिद्धगदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता गो० ! नत्थि, केवइया बद्धेल्लगा?, अट्ठ, केवइया पुरेक्खडा?, नत्थिा नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिता दबिंदिया अतीता?, गो०! अनंता, केवइयाबद्धेलगा? असंखेजा, केवइयापुरेक्खडा?, अनंता, नेरइयाणं भंते ! असुरकुमारत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो० ! अनंता, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, अमंता, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते, नेरइयाणं भंते ! विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003349
Book TitleAgam Sutra Satik 15 Pragnapana UpangSutra 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages664
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size14 MB
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