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________________ पदं - ३, उद्देशक:-, द्वारं - २७ १७५ सोहम्मे कप्पे देवा संखिजगुणा २७ सोहम्मे कप्पे देवीओ संखेजगुणाओ २८ भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा २९ भवणवासिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ ३० इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइआ असंखिजगुणा ३१ खहयरपंचिंदियतिरि- क्खजोणिया पुरिसा असंखिज्जगुणा ३२ खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखिजगुणाओ ३३ थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिआ पुरिसा संखिजगुणा ३४ थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोगिणीओ संखिज्जगुणाओ ३५ जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिआ पुरिसा संखिज्जगुणा ३६ जलयरपंचिंदियति- रिक्खजोणिणीओ संखिञ्जगुणाओ ३७ वाणमंतरा देवा संखिजगुणा ३८ वाणमंतरीओ देवीओ संखिज्रगुणाओ ३९ जोइसिया देवा संखिखगुणा ४० जोइसिणीओ देवीओ संखिज्जगुणाओ ४१ खहयर पंचिंदियतिरिक्खजोणिआ नपुंसगा संखिजगुणा ४२ थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिआ नपुंसगा संखिञ्जगुणा ४३ जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिआ नपुंसगा संखिञ्जगुणा ४४ चउरिंदिया पजत्तया संखिज्जगुणा ४५ पंचिंदिया पजत्तया विसेसाहिया ४६ बेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया ४७ तेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया ४८ पंचिंदिया अपजत्तया असंखेज्जगुणा ४९ चउरिंदिया अपजत्तया विसेसाहिया ५० । -तेइंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया ५१ बेइंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया ५२ पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा ५३ बायरनिगोया पज्जत्तया असंखिजगुणा ५४ बायरपुढवीकाइया पज्जत्तगा असंखिज्जगुणा ५५ बायराउकाइया पजत्तया असंखिजगुणा ५६ बायरवाउकाइया पञत्तगा असंखिज्जगुणा ५७ बायरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखिजगुणा ५८ पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया अपजत्तगा असंखिज्जगुणा ५९ बायरनिगोया अपजत्तया असंखित्रगुणा ६० बायरपुढवीकाइया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा ६१ बायराउकाइया अपजत्तया असंखिञ्जगुणा ६२ बायरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखिजगुणा ६३ सुहुमतेउकाइया अपजत्तया असंखिज्जगुणा ६४ सुहुमपुढवीकाइया अपजत्तया विसेसाहिया ६५ सुहुम आउकाइया अपजत्तया विसेसाहिआ ६६ सुहुमवाउकाइया अपजत्तया विसेसाहिया ६७ सुहुमतेउकाइया पत्तया संखिजगुणा ६८ हुमपुढवीकाइया पचत्तया विसेसाहिआ ६९ सुहुमआउकाइया पत्तिया विसेसाहिआ ७० सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिआ ७१ सुहुमनिगोया अपजत्तया असंखिञ्जगुणा ७२ सुहमनिगोया पजत्तया संखिजगुणा ७३ अभवसिद्धिआ अनंतगुणा ७४ परिवडियसम्मद्दिट्ठि अणंतगुणा ७५ । -सिद्धा अनंतगुणा ७६ बायरवणस्सइकाइया पचत्तगा अनंतगुणा ७७ बायरपञ्जत्ता विसेसा - हिआ ७८ बायरवणस्सइकाइया अपजत्तगा असंखिजगुणा ७९ बायर अपजत्तगा विसेसाहिआ ८० बायरा विसेसाहिआ ८१ सुहुमवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखिज्जगुणा ८२ सुहुमअपजत्तया विसेसाहिया ८३ सुहुमवणस्सइकाइया पजत्तया संखिजगुणा ८४ सुहुमपजत्तया विसेसाहिआ ८५ सुहमा विसेसाहिया ८६ भवसिद्धिया विसेसाहिया ८७ निगोयजीवा विसेसाहिया ८८ वणस्स - जीवा विसेसाहिआ ८९ एगिंदिया विसेसाहिया ९० तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया ९१ मिच्छादिडी विसेसाहिआ ९२ अविरया विसेसाहिया ९३ सकसाई विसेसाहिआ ९४ छउमत्था विसेसाहिआ ९५ सजोगी विसेसाहिआ ९६ संसारत्था विसेसाहिआ ९७ सव्वजीवा विसेसाहिआ ९८ ।। पन्त्रवणाए भगवईए बहुवत्तव्वयपयं समत्तं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003349
Book TitleAgam Sutra Satik 15 Pragnapana UpangSutra 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages664
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size14 MB
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