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________________ पदं-३, उद्देशकः-, द्वारं-४ १३१ -पद-३-वारं-४:- "कायः" :मू. (२६३) एएसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं अकाइयाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिआवा?, गोयमा! सव्वत्थोवा तसकाइयातेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसेसाहिया वाउकाइया विसेसाहिया अकाइया अनंतगुणा वणस्सइकाइया अनंतगुणा सकाइया विसेसाहिया ।। एएसिणं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं अपजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहियावा?, गोयमा! सव्वत्थोवा तसकाइया अपजत्तगातेउकाइया अपजत्तगाअसंखेजगुणा पुढविकाइया अपञ्जत्तगा विसेसाहियाआउकाइया अपजत्तगाविसेसाहियावाउकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया वणस्सइकाइया अपञ्जत्तगा अनंतगुणा सकाइया अपअत्तगा विसेसाहिया। एएसिणं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणंतसकाइयाणपजत्तगाणंकयरेकयरेहितीअप्पा वाबहुयावातुल्लावाविसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्योवा तसकाइया पजत्तगा तेउकाइया पजत्तगा असंखेजगुणा पुढविकाइया पञ्जत्तगा विसेसाहिया आउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया वाउकाइया पजत्तगा विसेसाहिया वणस्सइकाइया पजत्तगा अनंतगुणा सकाइया पजत्तगा विसेसाहिया।। एएसिणं भंते ! सकाइयाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा सकाइया अपजत्तगासकाइया पञ्जत्तगा संखेजगुणा एएसिणं भंते ! पुढविकाइयाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपनत्तगापुढवीकाइया पजत्तगा संखेजगुणा ।। एएसिणं मंते ! आउकाइयाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा बाबहुया वातुल्ला वा विसेसाहियावा?, गोयमा! सव्वत्थोवाआउकाइयाअपञ्जत्तगा आउकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा ॥ . एएसिणं भंते ! तेउकाइयाणं पअत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहियावा?, गोयमा! सव्वत्थोवा तेउकाइयाअपनत्तगातेउकाइया पञ्जत्तगासंखेजगुणा एएसिणंभंते ! वाउकाइयाणं पज्जत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा वाउकाइया अपजत्तगा वाउकाइया पजत्ता संखेज्जगुणा । एएसिणं भंते ! वणस्सइकाइयाणं पज्जत्तपजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहियावा?, गोयमा! सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया अपजत्तगा वणस्सइकाइया पजत्तगा संखेजगुणा ।। एएसिणं भंते ! तसकाइयाणं पञ्जत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा?, सव्वत्थोवा तसकाइया पअत्तगा अपजत्तगा असंखेजगुणा ।। एएसिणंभंते!सकाइयाणं पुढविकाइआणंआउकाइआणं तेउकाइआणंवाउकाइआणं वणस्सइकाइआणं तसकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितोअप्पा वा बहुया वातुल्ला वा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003349
Book TitleAgam Sutra Satik 15 Pragnapana UpangSutra 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages664
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size14 MB
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