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________________ शतकं-२५, वर्गः-, उद्देशकः-५ ४०५ पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे औसप्पिणी एवं उस्सप्पिणीवि। पोग्गलपरियडेणं भंते ! किं संखेना समया असंखेजा समया अनंता समया? पुच्छा, गोयमा! नो संखेजा समया नो असंखेजा समया अनंता समया, एवंतीयद्धाअनागयद्धसम्बद्धा आवलियाओ गंभंते ! किं संखेजा समया? पुच्छा, गोयमा! नो संखेजा समया सिय असंखिज्जा समया सिय अनंता समया, आणापाणूणं भंते ! किं संखेजा समया ३? । एवंवेव, थोवाणंभंते! किं संखेजा समया ३, एवंजावओसप्पिणीओत्ति, पोग्गलपरियट्टाणं भंते ! किं संखेजा समया? पुच्छा, गोयमा! नो संखेना समया नो असंखेज्जा समया अनंता समया, आणापाणूणंभंते! किं संखेजाओ आवलियाओपुच्छा, गोयमा! संखेजाओआवलियाओ नोअसंखिजाओ आवलियाओ नोअनंताओ आवलियाओ, एवं थोवेविएवंजाव सीसपहेलियत्ति पलिओवमे णं भंते ! किं संखेना ३? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजाओ आवलियाओ असंखिजाओ आवलियाओ नो अनंताओ आवलियाओ, एवं सागरोवमेवि एवं ओसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि, पोग्गलपरियट्टे पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजाओ आवलियाओ नो असंखेजाओ आवलियाओ अनंताओ अवलियाओ, एवं जाव सव्वद्धा। आणापाणूणं भंते ! कि संखेजाओ आवलियाओ? पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजाओ आवलियाओ सिय असंखेजाओ सिय अनंताओ, एवं जाव सीसपहेलियाओ, पलिओवमाणं पुच्छा, गोयमा! नो संखेजाओ आवलियाओ सिय असंखेजाओ आवलियाओ सिय अनंताओ आवलियाओ एवं जाव उस्सप्पिणीओ, पोग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजाओ आवलियाओ नो असंखेजाओ आवलियाओ अनंताओ आवलियाओ। थोवे णं भंते ! किं संखेज्जाओ आणापाणूओ असंखेजाओ जहा आवलियाए वत्तव्बया एवं आणापाणूवि निरवसेसा, एवं एतेणं गमएणं जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा । सागरोवमेणं भंते! किंसंखेज्जा पलिओवमा ? पुच्छा, गोयमा! संखेना पलिओवमा नो असंखेजा पलिओवमा नो अनंता पलिओवमा, एवं ओसप्पिणीएविउस्सप्पिणीएवि, पोग्गलपरियट्टे णं पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा पलिओवमा असंखेना पलिओवमा अनंता पलिओवमा एवं जाव सव्वद्धा। सागरोवमाणं भंते! किं संखेज्जा पलिओवमा? पुच्छा, गोयमा! सिय संखेजा पलिओवमा सिय असंखिज्जा पलिओवमा सिय अनंता पलिओवमा, एवं जाव ओसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि पोग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयम्म! नो संखेज्जा पलिओवमा नो असंखेजा पलिओवमा अनंता पलिओवमा। ओसप्पिणी गंभंते! किं संखेज्जासागरोवमा जहा पलिओवमस्स वत्तव्वयातहासागरोवमस्सवि, पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! किं संखेजाओ ओसप्पिणीओ पुच्छा, गोयमा! नो संखेजाओ ओसप्पिणीओ नो असंखिजा अनंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ एवं जाव सव्वद्धा, पोग्गलपरियट्टा णं भंते ! किं संखेजाओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ पुच्छा, गोयमा! नो संखेजाओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ नो असंखे० अनंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ। Jain Education International For Private & Personal Use Only For www.jainelibrary.org
SR No.003339
Book TitleAgam Sutra Satik 05 Bhagavati AngSutra 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages1096
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size23 MB
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