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उत्तराध्ययन-मूलसूत्रम्-२-१९/६६९ छिन्नो भिन्नो विभिन्नो य, उववत्रो पावकम्मुणा।
अवसो लोहरहे जुत्तो, जलंते समिलाजुए। चोइओ तुत्तजुत्तेहिं, रुज्झो वा जह पाडिओ। हुआसने जलंतमि, चिआसु महिसो विव। दद्धो एक्को अ अवसो, पावकम्मेहिं पाविओ।
बला संडासतुंडेहि, लोहतुंडेहिं पक्खिहिं। विलुत्तो विलवंतोऽहं, ढंकगिद्धेहिंऽनंतसो॥
तण्हाकिलंतो धावंतो पत्तो वेयरणिं नइं। जलं पाहंति चिंततो, खुरधाराहिं विवाइओ। उहाभितत्तो संपत्तो, असिपत्तं महावनं। असिपत्तेहिं पंडतेहिं, छिन्नपुव्वो अनेगसो॥ मुग्गरेहिं मुसुंढीहि, सूलेहिं मुसलेहि य। गयासंभग्गगत्तेहिं, पत्तं दुक्खं अनंतसो॥ खुरेहिं तिक्खधाराहि, छुरियाहि कप्पणीहि य। कप्पिओ फालिओ छिन्नो, उकित्तो अ अनेगसो।
पासेहिं कूडजालेहि, मिओ वा अवसो अहं। वाहिओ बद्धरुद्धो अ, विवसो चेव विवाइओ। गलेहिं मगरजालेहि, वच्छो वा अवसो अहं। उल्लिओ फालिओ गहिओ, मारिओ अ अनंतसो॥
विदसएहिं जालेहि, लिप्पाहि सउणो विव! गाहिओ लग्गो अ बद्धो अ, मारिओ अ अनंतसो॥
कुहाडपरसुमाईहि, वड्डुईहिंदुमो विव।। कुट्टिओ फालिओ छिन्नो, तच्छिओ अ अनंतसो॥ __चवेडमुट्ठिमाईहिं, कुमारेहि अयं पिव। ताडिओ कुट्टिओ भिन्नो, चुनिओ अ अनंतसो॥ तत्ताई तंबलोहाई, तउआईसीसगाणि य। पाइओ कलकलंताई, आरसंतो सुभेरवं ।। तुहप्पियाइं मंसाई, खंडाइं सल्लगाणि य। खाविओ मि समंसाई, अग्गिवन्नाई नेगसो॥
तुहं पिया सुरा सिहू, मेरओ अ महूणि य। पज्जिओ मि जलंतीओ, वसाओ रुहिराणि य॥ निच्चं भीएण तत्थेणं, दुहिएणं वहिएण य।
परमा दुहसंबद्धा, वेयणा वेइया मए। तिव्वचंडप्पगाढाओ, धोराओ अइदुस्सहा।
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