________________
४१०
निशीथ-छेदसूत्रम् -१-५/३५०
[भा.२००९] अयमाइ आगरा खलु, जत्तियमेत्ता य आहिया सुत्ते।
तेसू असनादीनि, गेण्हंताऽऽणादिणो दोसा ।। [भा.२०१०] मंगलममंगले वा, पवत्तण निवत्तणेय थिरमथिरे।
दोसा निविसमाणे, इमे य दोसा निविट्ठम्मि॥ चू- इमे य दोसा निविटे[भा.२०११] पुढवि-ससरक्ख-हरिते, सचित्ते मीसए हिए संका।
सयमेव कोइ गिम्हति, तन्नीसाए अहव अन्ने॥ चू- नवग-निवेसे असत्थोवहता सचित्तपुढवी । अहवा - धाउ - मट्टिता खता ताए हत्था खरंटिता, ससरक्खेण वा हत्थेण देज, नवग-निवेसेवा हरियसंभवो, सचित्तमीसस्स।तत्थअन्नेन सुवण्णातिते हरिते साहू संकिज्जति । - अहवा - कोइ संजतो लुद्धो उन्निक्खमिउकामो सयमेव गेहति । अहवा - साहुनिस्साते अन्नोकोइ गेण्हति ।नाआसंकाए गेण्हण-कड्डणातियादोसा। जम्हा एते दोसा तम्हा नवगनिवेसेसु नो गेण्हेज ॥
कारणे गेण्हेजा वि[भा.२०१२] असिवे ओमोयरिए, रायदुढे भए व गेलण्णे।
अद्धाण रोहए वा, जतणा गहणंत गीतत्ये॥ मू. (३५१) जे भिक्खू मुह-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ॥ मू. (३५२) जे भिक्खू दंत-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ॥ मू. (३५३) जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति॥ मू. (३५४) जे भिक्खू नासा-वीणियं करेइ, करेंत वा सातिजति ॥ मू. (३५५) जे भिक्खू कक्ख-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ॥ मू. (३५६) जे भिक्खू हत्थ-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिञ्जति॥ मू. (३५७) जे भिक्खू नह-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिञ्जति॥ मू. (३५८) जे भिक्खू पत्त-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिञ्जति ॥ मू. (३५९) जे भिक्खू पुप्फ-वीणियं करेइ, करेंत वा सातिजति ॥ मू. (३६०) जे भिक्खू फल-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ॥ मू. (३६१) जे भिक्खू बीय-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ।। मू. (३६२) जे भिक्खू हरिय-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिजति ।। मू. (३६३) जे भिक्खू मुह-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिजति ।। म. (३६४)जे भिक्खू दंत-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिजति॥ मू. (३६५) जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिजति ॥ मू. (३६६) जे भिक्खू नासा-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिजति ।। मू. (३६७) जे भिक्खू कक्ख-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिजति ।। मू. (३६८) जे भिक्खू हत्थ-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिजति ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org