SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्रम्-२-१५/२/-/४३७ एवमेगस्सणं भंते! मणूसस्स मणूसत्ते केवइयादबिंदिया अतीता, गो०! अनंता, केवइया बद्धेल्लगा, गो०! अट्ठ, केवइया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सस्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसावा संखेज्जा वा असंखेज्जा वाअनंता वा, वाणमंतरजोइसिया जावगेवेजगदेवत्ते जहा नेरइयत्ते, एगमेगस्स णं भंते ! मणूसस्स विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता? गो०! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ठवा सोलस वा, केवइया बद्धलगा? नस्थि, केवइया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थिकस्सइ नत्थि, जस्सऽस्थि अट्ट वा सोलस वा, एगगमेगस्स णं भंते ! मणूसस्स वा सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवतिता दबिंदिया अतीता?, गो०! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थिअट्ट, केवइया बद्धलगा? नत्थि, केवइया पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ, वाणमंतरजोतिसिए जहा नेरतिए।। सोहम्मगदेवेविजहानेरइए, नवरंसोहम्मगदेवस्स विजयवेजयंतजयंतापराजियत्ते केवइया अतीता?, गो० ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ, केवइया बद्धेल्लगा?, नस्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गो० ! कस्सइ अस्थि कस्सति नत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ वा सोलस वा, सव्वट्ठसिद्धगदेवत्तेजहानेरइयस्स, एवंजाव गेवेज्जगदेवस्स, सव्वट्ठसिद्धगतावनेतव्वं एगमेगस्स गंभंते ! विजयवेजयंतजयंतापराजितदेवस्स नेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो० ! अमंता, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, नस्थि, एवंजाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्तेमणूसत्ते अतीता अनंता, बद्धल्लगा नत्थि, पुरेक्खडा अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा, वाणमंतरे जोइसियत्तेजहा नेरइयत्ते, सोहम्मगदेवत्तेऽतीताअनंता, बद्धेल्लगा नत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थेि, जस्स अस्थि अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते, विजयवेजयंतजयंअपराजितदेवत्ते अतीता कस्सइ अस्थि नत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ, केवतिया बद्धेल्लगा?, अट्ठ, केवतिया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अत्थि अट्ठ, एगमेगस्सणं भंते ! विजयवेजयंत जयंतअपराजियदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो० ! नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, एगमेगस्स णं भंते ! सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स नेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो० ! अनंता, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, नत्थि, एवं मणूसवजं जाव गेवेज्जगदेवत्ते, नवरंमणूसत्ते अतीता अनंता, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, अट्ठ, विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते अतीता कस्सति अस्थि कस्सति नस्थि, जस्स अस्थि अट्ठ, केवइया बद्धेल्लगा?, नत्थि, केवइय पुरेक्खडा?, नथि, एगमेगस्सणंभंते! सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवइया दव्विंदिया अतीता गो० ! नत्थि, केवइया बद्धेल्लगा?, अट्ट, केवइया पुरेक्खडा?, नत्थि। नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिता दबिंदिया अतीता?, गो०! अनंता, केवइयाबद्धेलगा? असंखेजा, केवइयापुरेक्खडा?, अनंता, नेरइयाणं भंते ! असुरकुमारत्ते केवइया दबिंदिया अतीता?, गो० ! अनंता, केवइया बद्धलगा?, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, अमंता, एवं जाव गेवेज्जगदेवत्ते, नेरइयाणं भंते ! विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते केवइया दट्विंदिया अतीता ?, For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003315
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 11 Pragnapana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages342
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy