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________________ पदं-२४, उद्देशकः-, द्वारं २०३ पन्नत्ताओ, तं०-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं। जीवेणंभंते! नाणावरणिजंकम्मंबंधमाणे कति कम्पपगडीतोबंधइ?, गो०! सत्तविहबंधए वा अट्टविह० छविहबंधते वा, नेरइएणंभंते! नाणावरणिजंकम्मंबंधमाणे कति कम्मपगडीतो बंधति?, गो० ! सत्तविहबंधए वा अट्टविह०, एवं जाव वेमाणिते, नवरं मणुस्से जहा जीवे, . जीवा णं भंते ! नाणावरणिशं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधति?, गो० ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविबंधगाय छबिहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधगा य, नेरइया णं भंते ! नाणावरणिजंकमंबंधमाणा कति कम्मपगडीतोबंधंति ? गो०! सब्वेविताव होज्जा सत्तविबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य तिन्नि भंगा, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविकाइया णं पुच्छा, गो० ! सत्तविहबंधगावि अट्टविहबंधगावि एवं जाव वणप्फइकाइया, विगलाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणंतियभंगो सब्वेविताव होज्ज सत्तविहबंधगाअहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य, मणूसा णं भंते ! नाणावरणिज्जस्स पुच्छा, गो० ! सव्वेवि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगेय२ अहवा सतविहबंधगाय अट्ठविहबंधगाय ३ अहवा सत्तविहबंधगायछबिहबंधए य४ अहवा सत्तविहबंधगा यछविहबंधगाय ५ अहवा सत्तविहबंधगायअट्ठविहबंधगेयछबिहबंधगेय ६अहवा सत्तविहबंधगायअट्ठविहबंधगेयछबिहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छब्बिहबंधगे य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगाय छव्विहबंधगा य ९ एवं एते नव भंगा, सेसा वाणमंतरादिया जाव वेमाणिता जहा नेरइया सत्तविहादिबंधगा भाणिता तहा भाणितव्वा, एवंजहा नाणावरणंबंधमाणा जहिं भणितादसणावरणंपिबंधमाणा तहिं जीवादीया एगत्तपोहुत्तेहिंभाणितब्बा, वेयणिजंबंधमाणेजीवेकति०?, गो०! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा छबिहबंधए वा एगविहबंधए वा, एवं मणूसेवि सेसा नारगादीया सत्तविह० अट्ठविहबंधगा जाव वेमाणिते, जीवा णं भंते ! वेदणिज्जं कम्मं पुच्छा, गो० ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगायछब्बिहबंधगायअवसेसा, नारगादीयाजाव वेमाणिताजहिं नाणावरणंबंधंति तहिं भाणिएवं मणूसा णं भंते ! वेदणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीतो बंधति ? गो० ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगाय एगवि० १ अहवा सत्तविहबंधगायएगवि० अट्ठविहबंधगे यर अहवा सत्तविहबंधगाध गविहबंधगायअट्ठवि०३ अहवा सत्तविहबंधगाय एगविहबंधगा य छबिहबंधगे य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविह० छबिह० ५ अहवा सत्तविहबंधगा य एगवि० अट्ठविहबंधतेयछब्बिहबंधतेय ६अहवा सत्तविहबंधगायएगविहबंधगायअट्ठविहबंधते य छबिहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य एगवि० गा य अट्टविहबं० छव्चिहबंधगे य८ अहवा सत्तविहबंधगा य एगवि० अट्ठवि० छबिहबं०९ एवं एए नव भंगा भाणियव्वा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003315
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 11 Pragnapana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages342
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size19 MB
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