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________________ ३५५ शतकं-८, वर्गः-, उद्देशकः-१ योगपरिणए वा। जइ मोसमणप्पयोगपरिणए किं आरंभमोसमणप्पयोगपरिणए वा? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेणवि, एवं सच्चामोसमणप्पओगपरिणएवि, एवं असच्चामोसमणप्पयोगेणवि । जइ वइप्पयोगपरिणए किं सच्चवइप्पयोगपरिणए मोसवयप्पयोगपरिणए ? एवं जहा मणप्पयोगपरिणए तहा वयप्पयोगपरिणएवि जाव असमारंभवप्पयोगपरिणए वा।। जइ कायप्पयोगपरिणए किं ओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए ओरालियमीसासरीरकायप्पयो० वेउब्वियसरीरकायप्प० वेउब्वियमीसासरीरकायप्पयोगपरिणएआहारगसरीरकायप्पओगपरिणए आहारकमीसासरीरकायप्पयोगपरिणए कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए ?, गोयमा ! ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए वा, जइ ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए। किं एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए एवं जाव पंचिंदियओरालिय जाव परि०?, गोयमा! एगिंदियओरालियसरीरायप्पओगपरिणए वा बेदियजाव परिणए वा पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं पुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए जाव वणस्सइकायइयएगिदिओरालियसरीररकायप्पओगपरिणए कं पुढविक्काइयएगिंदिय जाव परिणए जाव वणस्सइकायइयएगंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा?, गोयमा! पुढविकाइयएगिदियपयोगजाव परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएनिंदिय जाव परिणएवा। जइपुढविकाइयएगिदियओरालियसरीरजाव परिणए किंसुहुम्पुढविकाइयजा परिणए वायरपुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए?, गोयमा! सुहुमपुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए बायरपुढविक्काइय जाव परिणए, जइ सुहमपुढविकाइय जाव परिणए किं पजत्तसुहुमपुढवि जाव परिणएअपज्जत्तसुहमपुढवीजाव परिणए?, गोयमा! पजत्तसुहमपुढविकाइयजाव परिणए वा अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयजाव परिणए वा, एवं बादरावि, एवंजाव वणस्सइकाइयाणं चउक्कओ भेदो। बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं दुयओ भेदो पञ्जत्तगा य अपञ्जत्तगा य । जइ पंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं तिरिक्खजोनियपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए ?, गोयमा ! तिरिक्खजोनिय जाव परिणए वा मणुस्सपंचिंदियजाव परिणएवा, जइ तिरिक्खजोनियजाव परिणए किं जलचरतिरिक्खजोनिय जाव परिणए वा थलचरखहचर०, एवं चउक्कओ भेदो जाव खहचराणं । जइ मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए किं संमुच्छिममणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए गब्भवतियमणुस्स जाव परिणए? गोयमा ! दोसुवि, जइ गब्भवक्कंतियमणुस्स जाव परिणए किंपजत्तगभंवक्कंतियजाव परिणए अपज्जत्तगब्भवक्कंतियमणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! पजत्तगब्भवतिय जाव परिणए वा अपज्जत्तगब्भवक्कंतिय जाव परिणए । जइओरालियमीसासरीरकायपओगपरिणए कि एगिदियओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए बेइंदियजावपरिणए जाव पंचेंदियओरालिय जाव परिणए?, गोयमा! एगिदिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003309
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 05 Bhagvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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