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________________ ७२ विभक्ति: गालवमतम् (पुंवद्भावः) प्रतीकम् {ग्रामणीर्ब्राह्मण: } ग्रामण्या ब्राह्मणकुलेन ग्रामण्ये ब्राह्मणकुलाय चि fis ङे प्रतीकम् {शुचिर्ब्राह्मण: } पाणिनीय-अष्टाध्यायी- प्रवचनम् पाणिनिमतम् (पुंवद्भावो न ) ङसि ग्रामण्यो ब्राह्मणकुलात् ग्रामणिनो ब्राह्मणकुलात् ङस् ग्रामण्यो ब्राह्मणकुलस्य ग्रामणिनो ब्राह्मणकुलस्य ओस् ग्रामण्योर्ब्राह्मणकुलयो: ग्रामणिनोर्ब्राह्मणकुलयो: दो आम् ग्रामण्यां ब्राह्मणकुलानाम् ग्रामणीनां ब्राह्मणकुलानाम् सब " ङि ग्रामण्यां ब्राह्मणकुले ग्रामणिनि ब्राह्मणकुले (शुचि ब्राह्मणकुलम् ) शुचिना ब्राह्मणकुलेन शुचिने ब्राह्मणकुलाय शुचिनो ब्राह्मणकुलात् शुचिनो ब्राह्मणकुलस्य शुचिनोर्ब्राह्मणकुलयोः शुचिनि ब्राह्मणकुले टा ङे शुचिना ब्राह्मणकुलेन शुचये ब्राह्मणकुलाय ङस् डसिशुचेर्ब्राह्मणकुलात् शुचेर्ब्राह्मणकुलस्य ओस् शुच्योर्ब्राह्मणकुलयोः शुचौ ब्राह्मणकुले dis {ग्रामणि ब्राह्मणकुलम् )} {ग्रामणी ब्राह्मणकुल ) ग्रामणिना ब्राह्मणकुलेन ग्रामणी (ब्रा०कु० ) के द्वारा। ग्रामणिने ब्राह्मणकुलाय के लिये । से । " 22 21 11 11 भाषार्थ: 22 11 21 11 १९. 11 17 " ( शुद्ध ब्राह्मण/कुल) शुद्ध (ब्रा०कु०) के द्वारा | के लिये । से । का । 11 21 11 11 11 का । का। का । में / पर । " का । में। आर्यभाषाः अर्थ- (भाषितपुंस्कम् ) समान आकृति में तथा समान प्रवृत्ति-निमित्त में पुलिङ्ग को कहनेवाले (इक: ) इगन्त (नपुंसकम् ) नपुंसकलिङ्ग शब्द को (तृतीयादिषु) तृतीया - आदि (अजादिषु) अजादि (विभक्तिषु) विभक्ति परे होने पर ( गालवस्य) गालव आचार्य के मत में (पुंवत्) पुंवद्भाव होता है, वह शब्द पुंलिङ्ग के समान हो जाता है, अर्थात् वहां नपुंसकलिङ्ग में विहित ह्रस्वादेश और नुम् - आगम नहीं होते हैं। उदा०- उदाहरण और उनका भाषार्थ संस्कृत-भाग में लिखा है। सिद्धि - (१) ग्रामण्या । ग्रामणी+टा। ग्रामणी+आ। ग्राम य्+आ। ग्रामण्या । यहां 'ग्रामणी' शब्द से 'स्वौजस०' (४ |१| २) से 'टा' प्रत्यय है । ब्राह्मणकुल के विशेषण भाव से 'ग्रामणी' नपुंसकलिङ्ग है । गालव आचार्य के मत में पुंवद्भाव होने पर 'ह्रस्वो नपुंसके प्रातिपदिकस्य' ( १/२/४७ ) से नपुंसकलिङ्ग में विहित ह्रस्वादेश और 'इकोऽचि विभक्तौं' (७/२/७३) से नुम्-आगम नहीं होता है। 'एरनेकाचोऽसंयोगपूर्वस्य' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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