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________________ ६४४ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् 'स्तौतिण्योरेव षण्यभ्यासात्' (८।३।६१) से षणभूत सन् में अभ्यासस्थ इण से परवर्ती सकार को मूर्धन्य आदेश प्राप्त था, अत: यह कथन किया गया है। (८) अभिषेधति। पिधू शास्त्रे माङ्गल्ये च' (भ्वा०प०) धातु से पूर्ववत् । (8) अभिषिञ्चति । षिच क्षरणे (तु०प०) धातु से पूर्ववत्। 'शे मुञ्चादीनाम् (७।१।५९) से नुम्' आगम होता है। (१०) अभिषजति। 'सञ्ज सङ्गे (भ्वा०प०) धातु से पूर्ववत् । 'दंशसञ्जस्वजां शपि' (६।४।२५) से नकार का लोप होता है। (११) अभिस्वजते। स्वज परिष्वङ्गे (भ्वा०आ०) धातु से पूर्ववत् । मूर्धन्यादेशः (१२) सदिरप्रतेः ।६६। प०वि०-सदि: ११ अप्रते: ५।१। स०-न प्रतिरिति अप्रति:, तस्मात्-अप्रते: (नञ्तत्पुरुषः)। अनु०-संहितायाम्, स:, अपदान्तस्य, मूर्धन्य:, इण:, अडभ्यासव्यवाये, अपि, स्थादिषु, अभ्यासेन, च अभ्यासस्य, उपसर्गादिति चानुवर्तते। __ अन्वय:-संहितायाम् अप्रतेरिण उपसर्गात् सदेरपदान्तस्य सोऽव्यवायेऽपि स्थादिषु चाभ्यासेन व्यवायेऽभ्यासस्य च मूर्धन्य:। अर्थ:-संहितायां विषये प्रतिवर्जिताद् इणन्ताद् उपसर्गात् परस्य सदेतिरपदान्तस्य सकारस्य स्थानेऽड्व्यवायेऽनड्व्यवायेऽपि, स्थादिषु धातुषु चाभ्यासेन व्यवायेऽभ्यासस्य च मूर्धन्यादेशो भवति। उदा०- (सदि:) निषीदति, विषीदति। अड्व्यवाये-न्यषीदत्, व्यषीदत् । निषसाद, विषसाद। ___ आर्यभाषा: अर्थ-(संहितायाम्) सन्धि-विषय में (अप्रते:) प्रति से भिन्न (इण:) इपन्त (उपसर्गात) उपसर्ग से परवर्ती (सदे:) सद् धातु के (अपदान्तस्य) अपदान्त (स:) सकार के स्थान में (अड्व्यवायेऽपि) अट्-आगम के व्यवधान में और अव्यवधान में भी तथा (स्थादिषु) स्था आदि धातुओं में (अभ्यासेन) अभ्यास के (व्यवाये) व्यवधान में (च) और (अभ्यासस्य) अभ्यास को (मूर्धन्यः) मूर्धन्य आदेश होता है। उदा०-(सदि) निषीदति । वह बैठता है। विषीदति। वह खिन्न होता है। अड्व्यवाये-न्यषीदत् । वह बैठ गया। व्यषीदत् । वह खिन्न हुआ। निषसाद । वह बैठा था। विषसाद । वह खिन्न हुआ था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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