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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् धातुः | उपसर्गः/ शब्दरूपम् भाषार्थ:
व्यवायः अड्व्यवाय: अभ्यषेणयत् उसने अभित: सेना से गया। परि ,, पर्यषणत् उसने परित: सेना से गया। षणभूत: (सन्) अभिषिषेणयिषति वह अभित: सेना से जाना चाहता है।
परिषिषेणयिषति | वह परित: सेना से जाना चाहता है। (८) सेध अभि अभिषेधति वह अभित: शासन करता है।
परि परिषेधति वह परित: शासन करता है। अड्व्यवाय: अभ्यषेधत्
उसने अभित: शासन किया।
उसन आभत: शासन । | परि ,, पर्यषेधत् उसने परित: शासन किया। (९) सिच अभि अभिषिञ्चति वह अभित: सेचन करता है।
| परि परिषिञ्चति वह परित: सेचन करता है।
अड्व्यवाय: अभ्यषिञ्चत् उसने अभित: सेचन किया। परि ,, पर्यषिञ्चत् उसने परित: सेचन किया।
वह अभितः सेचन करना चाहता है।
परिषिषिक्षति वह परित: सेचन करना चाहता है। (१०) सञ्ज । अभि अभिषजति |वह अभितः आलिङ्गन करता है।
परिपरिषजति वह परित: आलिङ्गन करता है। अड्व्यवाय: अभ्यषजत् उसने अभित: आलिङ्गन किया। परि ,, पर्यषजत् उसने परित: आलिङ्गन किया। षणभूत: (सन्) अभिषिषक्षति वह अभित: आलिङ्गन करना चाहता है।
परिषिषक्षति दह परित: आलिङ्गन करना चाहता है। (११) स्वञ्ज । अभि अभिष्वजते वह अभित: आलिङ्गन करता है।
परिष्वजते
वह परित: आलिङ्गन करता है। अड्व्यवाय: अभ्यष्वजत उसने अभित: आलिङ्गन किया। परि ,, पर्यष्वजत उसने परित: आलिङ्गन किया। षणभूतः (सन्) अभिषिष्वक्षते |वह अभित: आलिङ्गन करना चाहता है।
परिषिष्वक्षते वह परित: आलिङ्गन करना चाहता है।
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