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________________ ५६६ अष्टमाध्यायस्य द्वितीयः पादः . विशेष: सामिधेनी आदि ऋचाविशेषों में ही टि को प्रणव (ओकार) यज्ञकर्म में होता है, सभी मन्त्रों में नहीं। अत: सभी मन्त्रों के अन्त में 'टि' को ओ३म् करके यज्ञकर्म में बोलना, अवैदिक क्रिया है, ऐसा समझना चाहिये। यह ओ३म् आदेश वहीं होता है, जहां ऋक्समूह का पाठमात्र होता है, वौषट् वा स्वाहा शब्द का प्रयोग नहीं होता। यह श्रौतकर्म का नियम है (अष्टाध्यायीप्रथमावृत्ति पृ० ५४५)। प्लुतः (उदात्तः) (६) याज्यान्तः ।६०। प०वि०-याज्याऽन्त: ११। स०-याज्यानामन्त इति याज्यान्त: (षष्ठीतत्पुरुषः)। अनु०-वाक्यस्य, टे:, प्लुत:, उदात्त:, यज्ञकर्मणीति चानुवर्तते । अन्वय:-यज्ञकर्मणि याज्यानामन्तष्टि: प्लुत उदात्त: । अर्थ:-यज्ञकर्मणि ये याज्या:-याज्यानुवाक्याकाण्डे ये मन्त्रा: पठ्यन्ते तेषामन्त्यष्टि: प्लुतो भवति, स चोदात्तो भवति। उदा०-स्तोमैर्विधेमाग्नये३ । जिह्वामाने चकृषे हव्यवाह३म् । “याज्या नाम ऋच: काश्चिद् वाक्यसमुदायरूपाः, तत्र यावन्ति वाक्यानि तेषां सर्वेषां टे: प्लुत: प्राप्नोति । सर्वान्तस्यैवेष्यते । तदर्थमन्तग्रहणम्” (काशिका)। आर्यभाषा: अर्थ-(यज्ञकर्मणि) यज्ञ-कर्म में जो (याज्यान्त:) याज्या अनुवाक्या काण्ड में मन्त्र पढ़े हैं उनके अन्तिम मन्त्र के (ट:) टि-भाग को (प्लुत:) प्लुत होता है और वह (उदात्त:) उदात्त होता है। उदा०-स्तोमैर्विधेमाग्नये३ । जिहामग्ने चकृषे हव्यवाह३म् । “याज्या नामक कुछ ऋचाये वाक्यसमुदाय आत्मक हैं। उनमें सब वाक्यों के टि-भाग को प्लुत प्राप्त होता है। सबसे अन्तिम वाक्य को ही प्लुत अभीष्ट है, अत: यहां अन्त पद का ग्रहण किया गया है" (काशिका)।। विशेष: (१) अन्य संहिताओं में याज्यानुवाक्या मन्त्र बिखरे हुये हैं, परन्तु मैत्रायणी संहिता (४।१०-१४) में सब मन्त्र एक स्थान पर पठित हैं, यह याज्यानुवाक्य काण्ड ही कहाता है। (२) याज्या वे मन्त्र कहाते हैं जिनसे श्रौतकर्म में यजन-आहुति प्रदान किया जाता है (अष्टाध्यायीप्रथमावृत्ति पाद टिप्पणी पृ० ५४५)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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