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________________ अष्टमाध्यायस्य द्वितीयः पादः ५४७ (प्रतूर्त) प्रतूर्त वाजिन् ( तै०सं० ४ । १ । २ । १) । प्रतूर्त = अत्यन्त गतिशील। भाषा में - प्रतूर्णम् । (सूर्त) सूर्ती गाव: । सूर्त = गतिशील। भाषा में सृतम् । ( गूर्त) गूर्ता अमृतस्य (यजु० ६ । ३४) । गूर्ता= उठे हुये । भाषा में गूर्णम् । सिद्धि-(१) नसत्तम् । यह नञ् - पूर्वक 'षट्ट विशरणगत्यवसादनेषु' (भ्वा०प०) धातु से पूर्ववत् 'क्त' प्रत्यय है। 'रदाभ्यां निष्ठातो०' (८/२ ।४२ ) से निष्ठा के तकार को नकारादेश और पूर्ववर्ती धातुस्थ दकार के भी नकारादेश प्राप्त है। इस सूत्र से वेदविषय में नकारादेश का अभाव निपातित है । (२) निषत्तम् । नि-उपसर्गपूर्वक 'सद्' धातु से पूर्ववत् । 'सदिरप्रते:' ( ६ | ३ |६६) से षत्व होता है। (३) अनुत्तम् । यहां नञ्- पूर्वक 'उन्दी क्लेदने' (रुधा०प०) धातु से पूर्ववत् 'क्त' प्रत्यय है। 'अनिदितां हल उपधाया: क्ङिति (६ । ४ । २४) से धातुस्थ अनुनासिक (न्) का लोप होता है। शेष कार्य पूर्ववत् है । (४) प्रतूर्तम् । प्र- उपसर्गपूर्वक 'त्त्वरा सम्भ्रमें' (भ्वा०आ०) अथवा 'तुर्वी गत्यर्थ:' (श्वा०प०) धातु से पूर्ववत् 'क्त' प्रत्यय है । पूर्ववत् नत्वाभाव निपातित है। (५) सूर्तम् । यहां सृ गतौं' (भ्वा०प०) धातु से पूर्ववत् 'क्त' प्रत्यय और धातुस्थ ऋकार को उकारादेश और नत्वाभाव निपातित है। इसे 'उरण् रपरः' (१1१148) से रपरत्व और 'हलि च' (८/२/७७ ) से दीर्घ होता है। (६) गूर्तम् | यहां 'गूरी उद्यमने ( दि०आ०) धातु से पूर्ववत् 'क्त' प्रत्यय है। 'रदाभ्यां निष्ठातो०' (८०४ । ४२) से नकारादेश प्राप्त है, अत: इस सूत्र से नकारादेश का अभाव निपातित है। ।। इति निष्ठातकारादेशप्रकरणम् ।। आदेशप्रकरणम् कु-आदेश: (१) क्विन्प्रत्ययस्य कुः । ६२ । प०वि० - क्विन्प्रत्ययस्य ६ । १ कुः १ । १ । ॐ० - क्विन् प्रत्ययो यस्माद् धातोः स क्विन्प्रत्ययः, तस्य क्विन् प्रत्ययस्य ( बहुव्रीहि: ) । 1 अनु०-पदस्य, धातोरिति चानुवर्तते अन्वयः - क्विन्प्रत्ययस्य धातोः पदस्य कुः । अर्थ:- क्विन्प्रत्ययस्य धातो: पदस्यान्ते कवगदिशो भवति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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