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________________ अष्टमाध्यायस्य द्वितीयः पादः ५१७ उदा०-(पदान्त) दह-काष्ठधक् । लक्कड़ जलानेवाला। दुह-गोधुक् । गौ को दुहनेवाला। (झल) दह-दाधा। जलानेवाला। दग्धुम् । जलाने के लिये। दग्धव्यम्। जलाना चाहिये। दुह-दोग्धा । दुहनेवाला। दोग्धुम् । दुहने के लिये। दोग्धव्यम् । दुहना चाहिये। सिद्धि-(१) काष्ठधक् । यहां काष्ठ-उपपद दह भस्मीकरणे' (भ्वा०प०) धातु से क्विप् च' (३।२।७६) से विप्' प्रत्यय है। वरपृक्तस्य' (६।१।६६) से क्विप्' का सर्वहारी लोप होता है। इस सूत्र से पदान्त में विद्यमान दकारादि दह' धातु के हकार को घकारादेश होता है। 'एकाचो बशो भष्०' (८।२।३७) से 'दह' के दकार को भष् धकारादेश होता है। 'झलां जशोऽन्ते' (८।२।३९) से घकार को जश् गकार और वाऽवसाने (८।४।५५) से गकार को चर् ककार होता है। (२) गोधुक् । यहां गो-उपपद दकारादि दुह प्रपूरणे (अदा०प०) धातु से पूर्ववत्। (३) दग्धा । यहां 'दह भस्मीकरणे (भ्वा०प०) धातु से ण्वुल्तचौ' (३।१।१३३) से तृच्' प्रत्यय है इस सूत्र से झलादि तृच्' प्रत्यय परे होने पर दकारादि दह' धातु के हकार को घकारादेश होता है। झषस्तथो?ऽधः' (८।२।४०) से तकार को धकारादेश और 'झलां जश् झशि' (८।४/५२) से घकार को जश् गकार होता है। दुह प्रपूरणे' (अदा०प०) धातु से-दोग्धा। (४) दग्धुम् । यहां 'दह्' धातु से पूर्ववत् 'तुमुन्' प्रत्यय है। दुह' धातु सेदोग्धुम् । शेष कार्य पूर्ववत् है। (५) दग्धवान् । यहां दह्' धातु से पूर्ववत् 'तव्यत्' प्रत्यय है। दुइ' धातु सेदोग्धव्यम्। शेष कार्य पूर्ववत् है। घकारादेश-विकल्पः (१६) वा द्रुहमुहष्णुहष्णिहाम्।३३। प०वि०-वा अव्ययपदम्, द्रुह-मुह-ष्णुह-ष्णिहाम् ६।३ । स०-द्रुहश्च मुहश्च ष्णुहश्च ष्णिह् च ते द्रुहमुहष्णुहष्णिहः, तेषाम्द्रुहमुहष्णुहष्णिहाम् (इतरेतरयोगद्वन्द्वः)। अनु०-पदस्य, झलि, हः, धातो:, घ इति चानुवर्तते । अन्वय:-द्रुहमुहष्णुहष्णिहां धातूनां ह: पदस्यान्ते झलि च वा घ: । अर्थ:-द्रुहमुहष्णुहष्णिहां धातूनां हकारस्य स्थाने पदस्यान्ते झलादौ प्रत्यये परतश्च विकल्पेन धकारादेशो भवति, पक्षे च यथाप्राप्तं ढकारादेशो भवति। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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