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________________ सप्तमाध्यायस ४०१ - - - सप्तमाध्यायस्य चतुर्थः पादः धातुः उदाहरणम् भाषार्थ: (१) तन् स तन्तन्यते | वह पुन:-पुन: विस्तृत करता है। स तन्तनीति -सम(२) गम् जङ्गम्यते वह पुन:-पुन: गमन करता है। जङ्गमीति -सम(३) यम् स यंयम्यते वह पुन:-पुन: उपरत होता है। स यंयमीति __-सम(४) रम् स रंरम्यते | वह पुन:-पुन: रमण करता है। स रंरमीति ___ -समआर्यभाषा: अर्थ-(अनुनासिकान्तस्य) अनुनासिक वर्ण जिसके अन्त में है उस (अङ्गस्य) अङ्ग के (अत:) अकारान्त (अभ्यासस्य) अभ्यास को (यङ्लुको:) यङ् प्रत्यय और यङ्लुक परे होने पर (नुक्) नुक् आगम होता है। उदा०-उदाहरण और उनका भाषार्थ संस्कृत-भाग में लिखा है। सिद्धि-तन्तन्यते । यहां तन विस्तारे' (तना०७०) धातु से पूर्ववत् 'यङ्' प्रत्यय है। ‘सन्यडो:' (६।१।९) से धातु को द्वित्व होता है। त-तनय । इस स्थिति में इस सूत्र से इस अनुनासिकान्त अभ्यास के अकार को नुक्’ आगम होता है। 'नश्चापदान्तस्य झलि' (८।३।२४) से नकार को अनुस्वार और अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः' (८।४।५८) से परसवर्ण नकार होता है। ऐसे ही यङ्लुक में-तन्तनीति । 'गम्लु गतौ' (भ्वा०प०) धातु से-जङ्गम्यते, जङ्गमीति । यम उपरमे' (भ्वा०प०) धातु से-ययम्यते, यंयमीति। यह नुक्-आगम अनुस्वार का उपलक्षण है, अत: यहां अनुस्वार ही आगम होता है, नुक नहीं, क्योंकि नुक्' आगम करने पर यहां नश्चापदान्तस्य झलि' (८।३।२४) से परसवर्ण नहीं हो सकता क्योंकि झल्-वर्ण (य) परे नहीं है। वा०- पदान्तवच्च' (८।४।५८) से इस उक्त नुक् (अनुस्वार) आगम को पदान्तवत् मानकर व पदान्तस्य' (८।४।५९) से विकल्प से परसवर्ण होता है-यंयम्यते। परसवर्ण पक्ष में-ययम्यते। रम् क्रीडायाम (भ्वा०आत्मनेपद) धातु से-रंरम्यते, रमीति। यहां परसवर्ण नहीं होता है, क्योंकि "रेफोष्मणां सवर्णा न सन्ति” (पा०शिक्षा)। नुक्-आगम: (२६) जपजभदहदशभञ्जपशां च।८६। प०वि०-जप-जभ-दह-दश-भञ्ज-पशाम् ६।३ च अव्ययपदम्। स०-जपश्च जभश्च दहश्च भञ्जश्च पश् च ते जपजभदहदशभञ्जपश:, तेषाम्-जपजभदहदशभञ्जपशाम् (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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