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________________ ३३५ सप्तमाध्यायस्य चतुर्थः पादः हस्वादेशः (१३) केऽणः ।१३। प०वि०-के ७१ अणः। अनु०-अङ्गस्य, ह्रस्व इति चानुवर्तते । अन्वय:-अणोऽङ्गस्य के ह्रस्वः । अर्थ:-अणन्तस्याङ्गस्य के प्रत्यये परतो ह्रस्वो भवति । उदा०-ज्ञका। कुमारिका। किशोरिका । आर्यभाषा: अर्थ-(अण:) अण् वर्ण जिसके अन्त में उस (अङ्गस्य) अङ्ग को (के) क-प्रत्यय परे होने पर (हस्व:) ह्रस्व होता है। उदा०-ज्ञका। अनुकम्पिता (दयापात्रा) ज्ञानिनी। कुमारिका । ह्रस्वा (छोटी) कुमारी। किशोरिका । ह्रस्वा किशोरी। सिद्धि-(१) ज्ञका । ज्ञा+क। ज्ञ+क। ज्ञक+टाप् । ज्ञक+आ। ज्ञका+सु। ज्ञका। यहां ज्ञा' शब्द से 'अनुकम्पायाम् (५।३ १७६) से अनुकम्पा अर्थ में 'क' प्रत्यय है। इस सूत्र से 'ज्ञा' अणन्त अङ्ग को 'क' प्रत्यय परे होने पर ह्रस्व (अ) होता है। तत्पश्चात् स्त्रीत्व-विवक्षा में 'अजाद्यतष्टाप्' (४।१।४) से 'टाप्' प्रत्यय है। 'भस्त्रैषाजाज्ञाद्वास्वानपूर्वाणामपि (७।३।४७) से इकारादेश का प्रतिषेध है। (२) कुमारिका। यहां 'कुमारी' शब्द से ह्रस्वे' (५।३।८६) से ह्रस्व-अर्थ में 'क' प्रत्यय है। सूत्र-कार्य पूर्ववत् है। ऐसे ही किशोरी शब्द से-किशोरिका । हस्वादेशप्रतिषेधः (१४) न कपि।१४। प०वि०-न अव्ययपदम्, कपि ७।१। अनु०-अङ्गस्य, ह्रस्व:, अण इति चानुवर्तते । अन्वय:-अणोऽङ्गस्य कपि ह्रस्वो न। अर्थ:-अणन्तस्याऽङ्गस्य कपि प्रत्यये परतो ह्रस्वो न भवति। उदा०-बहुकुमारीको देश: । बहुब्रह्मबन्धूको देश: । बहुलक्ष्मीको राजा। आर्यभाषा: अर्थ-(अण:) अण् वर्ण जिसके अन्त में है उस (अङ्गस्य) अग को (कपि) कप-प्रत्यय परे होने पर (हस्व:) ह्रस्व (न) नहीं होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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