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सप्तमाध्यायस्य द्वितीयः पादः
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सिद्धि-इमौ । यहां 'इदम्' शब्द से 'स्वौजस० ' ( ४ |१| २) से 'औ' प्रत्यय है। इस सूत्र से इस 'औ' विभक्ति के परे होने पर 'इदम्' के दकार को भी मकार आदेश होता है । 'त्यदादीनाम:' ( ७ । २ । १०२ ) से मकार को अकार आदेश होता है।
औ विभक्ति में - इमौ । जस् विभक्ति में - इमे । 'जस: शी' (७।१।१७ ) से 'जस्' के स्थान में 'शी' आदेश है । अम् विभक्ति में - इमम् । 'अमि पूर्व:' ( ६ । १ १९०५) से पूर्वसवर्ण एकादेश है । औ विभक्ति (212) में - इमौ । शस् विभक्ति में- इमान् । 'तस्माच्छसो न: पुंसि ( ६ 1१1१०१ ) से सकार को नकार आदेश होता है।
य-आदेशः
प०वि०-य: १।१ सौ ७ । १ ।
अनु० - अङ्गस्य विभक्तौ इदम:, म इति चानुवर्तते ।
अन्वयः - इदमोऽङ्गस्य मः सौ विभक्तौ यः ।
अर्थः- इदमोऽङ्गस्य अकारस्य स्थाने सौ विभक्तौ परतो यकारादेशो
भवति ।
(३२) यः सौ | ११० ।
उदा० - इयं कन्या ।
अग्रिमसूत्रे पुंसि इति वचनात् स्त्रियामयं यकारादेशो विधीयते ।
आर्यभाषाः अर्थ- (इदम:) इदम् इस (अङ्ग्ङ्गस्य) अङ्ग के (मः) मकार के स्थान में (सौ) सु इस (विभक्तौ) विभक्ति के परे होने पर (यः) यकार आदेश होता है।
उदा० - इयं कन्या । यह कन्या ।
"
आगामी सूत्र में 'पुंसि' इस पद के वचन से यह यकारादेश स्त्रीलिङ्ग में होता है ।
सिद्धि - इयम् । यहां 'इदम्' शब्द से 'स्वौजस० ' ( ४ | १ | २ ) से 'सु' प्रत्यय है । 'सु' विभक्ति के परे होने पर 'दश्च' ( ७ । २ । १०९) से 'इदम्' के दकार को मकार आदेश होता है और इस सूत्र से इस मकार को स्त्रीलिङ्ग में यकार आदेश किया जाता है। 'इदमो म:' ( ७ । २ । १०८) से मकार को मकार आदेश होता है।
अय्-आदेशः
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(३३) इदोऽय् पुंसि । १११ |
प०वि०-इदः ६।१ अय् १।१ पुंसि ७।१।
अनु० - अङ्गस्य विभक्तौ इदम:, साविति चानुवर्तते ।
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