SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६१ सप्तमाध्यायस्य द्वितीयः पादः अनु०-अङ्गस्य, आर्धधातुकस्य, इट, वा, इति चानुवर्तते । अन्वय:-कृतचूतच्छृदतृदनृतोऽङ्गाद् असिच: सस्यार्धधातुकस्य वा इट। अर्थ:-कृतचूतच्छृतृदनृतिभ्योऽङ्गेभ्य उत्तरस्य सिज्वर्जितस्य सकारादेरार्धधातुकस्य विकल्पेन इडागमो भवति । उदाहरणम्-- धातु: शब्दरूपम् । भाषार्थ: (१) कृत कस्यति, कतिष्यति। वह काटेगा/लपेटेगा (कातेगा)। अकमंत्, अकर्तिष्यत्। यदि वह काटता/लपेटता। चिकत्सति, चिकर्तिष्यति। वह काटना/लपेटना चाहता है। (२) वृत चर्त्यति. चर्तिष्यति। वह मारेगा/गूंथेगा। अचय॑त्, अचर्तिष्यत्। यदि वह मारता/गूंथता। चित्सति, चिचर्तिषति। वह मारना/गूंथना चाहता है। छत्यति, छर्दिष्यति। वह चमकेगा/लेगा। अच्छय॑त्, अच्छर्दिष्यत्। यदि वह चमकता/खेलता। चिच्छृत्सति, चिच्छर्दिष्यति । वह चमकना/खेलना चाहता है। (४) तृद तय॑ति, तर्दिष्यति। वह हिंसा/दान करेगा। अतय॑त्, अतर्दिष्यत्। यदि वह हिंसा/दान करता। तितृत्सति, तितर्दिष्यति। वह हिंसा/दान करना चाहता है। (५) नत नय॑ति, नर्तिष्यति। वह नाचेगा। अनयंत्, अनर्तिष्यत्। यदि वह नाचता। निनृत्सति, निनर्तिष्यति। वह नाचना चाहता है। आर्यभाषा: अर्थ- (कृत०) कृत, घृत, कृद, तृद, नृत् इन (अङ्ग्रेभ्य:) अगों से परे (असिच:) सिच् से भिन्न (सकारादे:) सकारादि (आर्धधातुकस्य) आर्धधातुक को (बा) विकल्प से (इट) इडागम होता है। उदा०-उदाहरण और उनका भाषार्थ संस्कृत-भाग में लिखा है। सिद्धि-(१) कर्त्यति। यहां कृती छेदने (रधा०प०) शतु मे लट् शेपेच (३३१३) से लुट' प्रत्यय है। 'स्यतासी तृतुटो:' (३।११३३) से 'स्य विकरण-प्रत्यय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy