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________________ १४७ सप्तमाध्यायस्य द्वितीयः पादः १४७ (६) मुह वैचित्ये-मोग्धा, मोढा, मोहिता। (७) ष्णुह उगिरणे-स्नोग्धा, स्नोढा, स्नोहिता। (८) ष्णिह प्रीतौ-स्नेग्धा, स्नेढा, स्नेहिता। आर्यभाषा: अर्थ- (रधादिभ्यः) रध आदि आठ (अङ्गेभ्यः) अगों से परे (च) भी (वलादे:) वलादि (आर्धधातुकस्य) आर्धधातुक प्रत्यय को (वा) विकल्प से (इट्) इडागम होता है। उदा०-(रध) रद्धा, रधिता। हिंसा/संसिद्धि (पूर्ण) करनेवाला। (णश) नंष्टा, नशिता । नाश करनेवाला। (तप) त्रप्ता, ता, तर्पिता। तृप्त (प्रसन्न करनेवाला। (दप्) द्रप्ता, दर्ता, दर्पिता। हर्ष और मोहित करनेवाला। (दूह) द्रोग्धा, द्रोढा, द्रोहिता। द्रोह (मारने की इच्छा) करनेवाला। (मुह) मोग्धा, मोढा, भोहिता। पागल/बुद्धिभ्रष्ट। (ष्णुह) स्नोग्धा, स्नोढा, स्नोहिता। वमन करनेवाला। (ष्णिह) स्नेग्धा, स्नेढा, स्नेहिता । प्रीति करनेवाला। सिद्धि-(१) रद्धा। यहां 'रध हिंसासंराध्यो:' (दि०प०) धातु से 'वुल्तृचौं (३।१।१३३) से तच्' प्रत्यय है। झषस्तथो?ऽध:' (८।२।४०) से तकार को धकार और 'झलां जश् झशि (८।४।५३) पूर्ववर्ती धकार को जश् दकार होता है। इस सूत्र से इडागम का प्रतिषेध होता है। विकल्प-पक्ष में इडागम है-रधिता। (२) नंष्टा। यहां ‘णश अदर्शने' (दि०प०) धातु से पूर्ववत् तृच्' प्रत्यय है। मस्जिनशोझलि' (७।१।६०) से नुम्' आगम होता है। व्रश्चभ्रस्ज०' (८।२।३६) से शकार को षकार और ष्टुना ष्टुः' (८१४।४१) से तकार को टवर्ग टकार होता है। इस सूत्र से इडागम का प्रतिषेध होता है। विकल्प-पक्ष में इडागम है-नशिता। (३) त्रप्ता। यहां तृप प्रीणने' (दि०प०) धातु से पूर्ववत् तृच्' प्रत्यय है। अनुदात्तस्य चर्दुपधस्यान्यतरस्याम्' (६।१।५९) से अम्-आगम और ऋकार को यणादेश (र) है। अमागम के विकल्प-पक्ष में-तप्र्ता। इस सूत्र से इडागम का प्रतिषेध होता है। विकल्प-पक्ष में इडागम है-तर्पिता। (४) द्रप्ता । यहां दृप हर्षमोहनयो:' (दि०प०) धातु से पूर्ववत् तृच्' प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है। (५) द्रोग्धा । यहां द्रुह जिघांसायाम्' (दि०प०) धातु से पूर्ववत् तृच्’ प्रत्यय है। वा दुहमुहष्णुहष्णिहाम्' (८।२।३३) से हकार को घकार, झषस्तथोोऽध:' (८।२।४०) से तकार को धकार और 'झलां जश् झशि' (८।४।५२) से घकार को जश् गकार होता है। विकल्प-पक्ष में हकार को घकारादेश नहीं है-द्रोढा। यहां पूर्ववत् हकार को ढकार, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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