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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् अन्वय:-पादो भस्य अङ्गस्य पत्। अर्थ:-पादन्तस्य भ-संज्ञकस्य अङ्गस्य पदादेशो भवति ।
उदा०-द्विपद: पश्य । द्विपदा । द्विपदे। द्विपदिकां ददाति। त्रिपदिकां ददाति। वैयाघ्रपद्य:।
‘पाद:' इत्यत्र लुप्ताकार: पादशब्दो गृह्यते। 'निर्दिश्यमानस्यादेशा भवन्ति' इति परिभाषया च पात्-शब्दस्यैव स्थाने पत्-आदेशो विधीयते, न तु सर्वस्य पादान्तस्य शब्दस्य पत्-आदेशो भवति ।
आर्यभाषा: अर्थ-(पाद:) 'पाद्' शब्द जिसके अन्त में है उस (भस्य) भ-संज्ञक (अङ्गस्य) अग को (पत्) पत्-आदेश होता है।
उदा०-द्विपदः पश्य । तू दो पांवोंवालों को देख । द्विपदा। दो पांवोंवाले के द्वारा। द्विपदे। दो पांवोंवाले के लिये। द्विपदिकां ददाति। दो-दो पाद दान करता है। पाद=८ रत्ती चांदी का सिक्का। त्रिपदिकां ददाति । तीन-तीन पाद दान करता है। वैयाघ्रपद्यः । व्याघ्र बाघ के समान जिसके पाद-चरण हैं वह-व्याघ्रपात्, व्याघ्रपात् पुरुष का अपत्य (सन्तान)-वैयाघ्रपद्य।
सिद्धि-द्विपदः । द्वि+पाद। द्विपाद् ।। द्विपाद्+शस् । द्विपाद्+अस् । द्विपत्+अस्। द्विपदस् । द्विपदः।
यहां प्रथम द्वि और पाद शब्दों का 'अनेकमन्यपदार्थे (२।२।२४) से बहुव्रीहि समास है-द्वौ पादौ यस्य स द्विपाद् । 'संख्यासुपूर्वस्य' (५।४।१४०) से 'पाद' शब्द के अकार का समासान्त-लोप होता है। तत्पश्चात् द्विपाद्’ शब्द से शस्' प्रत्यय परे होने पर इस सूत्र से भ-संज्ञक पाद' के स्थान में पत्' आदेश होता है। यचि भम् (१।४।१८) से 'पाद्' की भ-सज्ञा है। 'झलां जशोऽन्ते (८।२।३९) से तकार को जश् दकार होता है।
सूत्रपाठ में लुप्त अकारवाले 'पाद्' शब्द का ग्रहण किया गया है। निर्दिश्यमानस्यादेशा भवन्ति इस परिभाषा से निर्दिश्यमान पाद' शब्द को ही 'पत्' आदेश किया जाता है, पादान्त द्विपाद' को नहीं। ऐसे ही-द्विपदा (टा)। द्विपदे (डे)।
(२) द्विपदिका। द्विपाद+वुन्। द्विपाद+अक। द्विपाद्+अक। द्विपत्+अक। द्विपदक+टाप् । द्विपदक+आ। द्विपदिका+सु । द्विपदिका।।
यहां प्रथम द्विपाद' शब्द से 'पादशतस्य संख्यादेवुन् लोपश्च' (५।४।१) से वीप्सा-अर्थ में वुन्' प्रत्यय और 'पाद्' के अन्त्य अकार का लाप होता है। तत्पश्चात् इस सूत्र से भ-संज्ञक 'पाद्' के स्थान में 'पत्' अदेश होता है। यचि भम् (१।४।१८) से 'पाद्’ की भ-संज्ञा है। स्त्रीत्व-विवक्षा में 'अजाद्यतष्टाप्' (४।१।४) से 'टाप्' प्रत्यय और प्रत्ययस्थात्कात्०' (७।३।४४) से इत्त्व होता है। ऐसे ही-त्रिपदिका।