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________________ ६५० पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् (३) बप्सति । भस्+लट् । भस्+ल। भस्+झि। भस्+शप्+झि। भस्+o+झि । भस्-भस्+अति। भ-भस्+अति। भ-भस्+अति। भ-प्स्+अति। बप्स्+अति । बप्सति। ___यहां पूर्वोक्त 'भस्' धातु से 'वर्तमाने लट्' (३।२।१२३) से लट्' प्रत्यय है। पूर्ववत् शप्' को 'श्लु' और 'भस्' धातु को द्विवचन होता है। 'अदभ्यस्तात्' (७।१।४) से झ्' के स्थान में अत्' आदेश है। इस सूत्र से अजादि, डित् 'अति' प्रत्यय परे होने पर 'भस्' अङ्ग की उपधा (अ) का लोप होता है। 'खरि च' (८।४।५५) से 'भ' को चर् पकार होता है। 'अभ्यासे चर्च (८।४।५४) से भकार को जश्' बकार होता है। धि-आदेश: (२६) हुझल्भ्यो हेर्धिः १०१। प०वि०-हु-झल्भ्य: ५।३ हे: ६।१ धि: १।१ । स०-हुश्च झलश्च ते हुझल:, तेभ्य:-हुझल्भ्य: (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) । अनु०-अङ्गस्य, हलि इति चानुवर्तते। अन्वय:-हुझल्भ्योऽङ्गेभ्यो हलो हेर्धिः । अर्थ:-हु' इत्यस्माद् झलन्तेभ्यश्च अङ्गेभ्य: परस्य हलादेहें: प्रत्ययस्य स्थाने धिरादेशो भवति। उदा०-(हु:) त्वं जुहुधि। (झलन्त:) त्वं भिन्द्धि । त्वं छिन्दद्धि । आर्यभाषा: अर्थ-(हुझल्भ्यो) हु' इससे और झलन्त (अङ्गात्) अङ्गों से परे (हलि) हलादि (ह:) हि-प्रत्यय के स्थान में (धि:) धि-आदेश होता है। उदा०-(हु) त्वं जुहुधि । तू यज्ञ कर। (झलन्त) त्वं भिन्दद्धि । तू भेदन कर। त्वं छिन्दधि । तू छेदन कर। सिद्धि-(१) जुहुधि। हु+लोट् । हु+ल। हु+सिप्। हु+शप्+सि। हु+o+सि । हु-हु+सि। हु-हु+हि। हु-हु+धि। झु-हु+धि। जु-हु+धि। जुहुधि। ___ यहां हु दानादनयोः, आदाने चेत्येके' (जु०प०) धातु से लोट् च' (३।४।१६२) से लोट्' प्रत्यय है। सेटपिच्च' (३।४।८७) से 'सिप' के स्थान में 'हि' आदेश होता है और वह अपित्' होता है। अपित् होने से 'सार्वधातुकमपित्' (१।२।४) से वह डिद्वत् माना जाता है। इस सूत्र से हलादि, 'हि' प्रत्यय के स्थान में धि' आदेश होता है। इसके डिद्वत् होने से सार्वधातुकार्धधातुकयो:' (७।३।८५) से अङ्ग (हु) को गुण नहीं होता है। कुहोश्चुः' (७।४।६२) से अभ्यास के हकार को चवर्ग झकार और इसे 'अभ्यासे चर्च' (८।४।५४) से जश् जकार आदेश होता है।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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