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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् यह-सप्तक संघ। आठ है परिमाण इसका यह-अष्टक संघ। (सूत्र) आठ अध्याय है परिमाण इस सूत्र का यह-अष्टक पाणिनीय। दश अध्याय है परिमाण इस सूत्र का यह-दशक वैयाघ्रपदीय। आचार्य व्याघ्रपात् द्वारा रचित दश-अध्यायात्मक व्याकरणशास्त्र। आचार्य व्याघ्रपात् पाणिनि मुनि से प्राचीन हैं। तीन अध्याय है परिमाण इसका यह-त्रिक काशकृत्स्न। आचार्य काशकृत्स्न द्वारा रचित तीन अध्याय आत्मक व्याकरणशास्त्र। आचार्य काशकृत्स्न पाणिनि मुनि से प्राचीन हैं। (अध्ययन) पांच आवृत्तियां परिमाण है इस अध्ययन (पाठ) की यह-पञ्चक अध्ययन । सात आवृत्तियां परिमाण है इस अध्ययन की यह-सप्तक अध्ययन। आठ आवत्तियां परिमाण है इस अध्ययन की यह-अष्टक अध्ययन।
सिद्धि-त्रिका: । त्रि+जस्+कन् । त्रि-क। त्रिक+जस् । त्रिकाः।।
यहां प्रथमा-समर्थ 'त्रि' शब्द से षष्ठी-विभक्ति के अर्थ में तथा संज्ञा अर्थ अभिधेय में 'संख्याया अतिशदन्ताया: कन्' (५।१।२२) से यथाविहित कन्' प्रत्यय है। यहां संज्ञा-अभिधेय में स्वार्थ में कन्' प्रत्यय है, परिमाण अर्थ में नहीं। त्रिक' यह शालकायन लोगों की संज्ञा है। ऐसे ही पञ्चका: आदि। निपातनम्(४) पङ्क्तिविंशतित्रिंशच्चत्वारिंशत्पञ्चाशतषष्टि
सप्तत्यशीतिनवतिशतम् ।५८ । प०वि०-पङ्क्ति-विंशति-त्रिंशत्-चत्वारिंशत्-पञ्चाशत्-षष्टिसप्तति-अशीति-नवति-शतम् १।१।
स०-पक्तिश्च विंशतिश्च त्रिंशच्च चत्वारिंशच्च पञ्चाशच्च षष्टिश्च सप्ततिश्च अशीतिश्च नवतिश्च शतं च एतेषां समाहार:-पङ्क्तिशतम् (समाहारद्वन्द्व:)।
अनु०-तत्, अस्य, परिमाणम् इति चानुवर्तते। अन्वय:-तदस्य परिमाणं पक्तिशतम् ।
अर्थ:-'तदस्य परिमाणम्' इत्यस्मिन् विषये पक्ति -आदयः शब्दा निपात्यन्ते । यदत्र सूत्रेणानुपपन्नं तत्सर्वं निपातनात् सिद्धं वेदितव्यम् । उदाहरणम्
(१) पक्ति :-पञ्च परिमाणमस्य-पक्तिश्छन्द: । अत्र पञ्च-शब्दस्य टिलोप:, ति: प्रत्ययश्च निपात्यते।
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