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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् द्रव्यस्य प्रकर्ष:-द्रव्यप्रकर्षः, न द्रव्यप्रकर्ष:-अद्रव्यप्रकर्षः, तस्मिन् अद्रव्यप्रकर्षे (षष्ठीगर्भितनञतत्पुरुषः)।
अन्वय:-अद्रव्यप्रकर्षे किमेत्तिङव्ययघाद् आमु।
अर्थ:-अद्रव्यप्रकर्षेऽर्थे वर्तमानेभ्य: किमेत्तिङव्ययेभ्य: प्रातिपदिकेभ्यो यो विहितो घ: प्रत्ययस्तदन्तात् प्रातिपदिकात् स्वार्थे आमु प्रत्ययो भवति ।
उदा०-(किम्) किंतर एव-कितराम् । किंतम एव-किंतमाम् । (एत्) पूर्वाणेतर एव-पूर्वाणेतराम् । पूर्वाह्नतम एव-पूर्वाह्नतमाम्। (तिङ्) पचतितर एव-पचतितराम्। पचतितम एव-पचतितमाम्। (अव्ययम्) उच्चस्तर एव-उच्चस्तराम्। उच्चैस्तम एव-उच्चस्तमाम् ।
आर्यभाषा: अर्थ-(अद्रव्यप्रकर्षे) द्रव्य के प्रकर्ष=अतिशय अर्थ में अविद्यमान (किमेत्तिडव्ययघात्) किम्, एत् एकारान्त, तिङन्त, अव्यय शब्दों से जो घ प्रत्यय विहित है तदन्त प्रातिपदिक से स्वार्थ में (आम) आमु प्रत्यय होता है।
उदा०-(किम्) दोनों में से कौन एक प्रकृष्ट-किंतर। किंतर ही-किंतराम् । बहुतों में से कौन एक प्रकृष्ट-कितम। कितम ही-किंतमाम्। (एकारान्त) दो पूर्वाह्नों में से एक में प्रकृष्ट-पूर्वाह्णतर। पूर्वाह्णतर ही-पूर्वाह्नतराम्। बहुत पूर्वाणों में से एक में प्रकृष्ट-पूर्वाह्णतमाम्। (तिङन्त) दोनों में से एक प्रकृष्ट पकाता है-पचतितर । पचतितर ही-पचतितराम् । बहुतों में से एक प्रकृष्ट पकाता है-पचतितम । पचतितम ही-पचतितमाम्। (अव्यय) दोनों में से एक प्रकृष्ट उच्चैः (ऊंचा)-उच्चस्तर। उच्चैस्तर ही-उच्चैस्तराम्। बहुतों में एक प्रकृष्ट उच्चैः (ऊंचा)-उच्चैस्तम। उच्चैस्तम ही-उच्चैस्तमाम्।
सिद्धि-(१) किंतराम् । किम्+सु+तरप् । किम्+तर। किंतर+सु+आमु । किंतर्+आम्। कितराम्+सु। कितराम्+0 । कितराम्।
यहां प्रथम किम्' शब्द से 'द्विवचनविभज्योपपदे तरबीयसुनौ' (५।३ ।५७) से तरप्' प्रत्यय है। 'तरप्तमपौ घः' (१।१।२२) से तरप्' प्रत्यय की 'घ' संज्ञा है। घ-प्रत्ययान्त, अद्रव्यप्रकर्ष अर्थ में विद्यमान किंतर' शब्द से इस सूत्र से स्वार्थ में 'आमु' प्रत्यय है। किंतराम्' की 'स्वरादिनिपातव्ययम्' (१।१।३७) से अव्ययसंज्ञा होकर 'अव्ययादाप्सुपः' (२।४।८२) से 'सु' का लुक् होता है।
(२) किंतमाम् । यहां प्रथम किम्’ शब्द से अतिशायने तमबिष्ठनौ (५ ॥३॥५६) से तमप्' प्रत्यय है। 'तमप्' प्रत्यय की पूर्ववत् 'घ' संज्ञा है। घ-प्रत्ययान्त किंतम' शब्द से इस सूत्र से स्वार्थ में आमु' प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है।।
(३) पूर्वाङ्गतराम् । पूर्वाह्ण+डि+तरम्। पूर्वाह्ण+तर। पूर्वाह्णतर+आमु। पूर्वाङ्गतराम्+सु । पूर्वाहणेतराम्+0 । पूर्वाणेतराम्।
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