SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३१६ पञ्चमाध्यायस्य तृतीय पादः सिद्धि-(१) ज्येष्ठः । प्रशस्य+सु+इष्ठन्। ज्य+इष्ठ। ज्येष्ठ+सु। ज्येष्ठः। यहां 'प्रशस्य' शब्द से अजादि 'इष्ठन्' प्रत्यय परे होने पर इस सूत्र से ज्य" आदेश होता है। शेष कार्य 'श्रेष्ठः' (५।३।६०) के समान है। (२) ज्यायान् । प्रशस्य+सु+ईयसुन् । ज्य+आयस् । ज्यायस्+सु। ज्याय+तुम्+स्+सु। ज्यायान्स्+सु । ज्यायान्स+० । ज्यायान् । ज्यायान्। यहां प्रशस्य' शब्द से अजादि ईयसन' प्रत्यय परे होने पर इस सत्र से उसके स्थान में ज्य' आदेश होता है। ज्यादादीयसः' (६।४।१६०) से ज्य' से परे 'ईयसुन्' के ईकार को आकार आदेश होता है। शेष कार्य 'पटीयान् (५४३ १५७) के समान है। ज्य-आदेश: (८) वृद्धस्य च।६२। प०वि०-वृद्धस्य ६१ च अव्ययपदम्। अनु०-अजादी, ज्य इति चानुवर्तते। वृद्धस्य च ज्य अजाद्यो: (इष्ठन्-ईयसुनोः)। अर्थ:-वृद्धशब्दस्य च स्थाने ज्य आदेशो भवति, अजाद्यो:= इष्ठन्-ईयसुनो: प्रत्यययो: परत:। । उदा०-सर्वे इमे वृद्धा:, अयमेषामतिशयेन वृद्धः-ज्येष्ठ: (इष्ठन्)। उभाविमौ वृद्धौ, अयमनयोरतिशयेन वृद्धः-ज्यायान्। आर्यभाषा: अर्थ-(वृद्धस्य) वृद्ध शब्द के स्थान में (च) भी (ज्य:) ज्य आदेश होता है (अजादी) अजादि इष्ठन् और ईयसुन् प्रत्यय परे होने पर। उदा०-ये सब वृद्ध हैं, यह इनमें अतिशय से वृद्ध है-ज्येष्ठ है (इष्ठन्)। ये दोनों वृद्ध हैं, यह इन दोनों में अतिशय से वृद्ध है-ज्यायान् है (ईयसुन्)। सिद्धि-ज्येष्ठः । वृद्ध+सु+इष्ठन्। ज्य+इष्ठ। ज्येष्ठ+सु। ज्येष्ठः। यहां वृद्ध' शब्द से अजादि 'इण्ठन्' प्रत्यय परे होने पर इस सूत्र से उसके स्थान में ज्य' आदेश होता है। शेष कार्य 'श्रेष्ठः' (५।३।६०) के समान है। (२) ज्यायान् । यहां वद्ध' शब्द से अजादि ईयसुन्' प्रत्यय परे होने पर इस सूत्र से उसके स्थान में ज्य' आदेश होता है। ज्यादादीयसः' (६।४।१६०) से ज्य' से परे ईयसन्' के ईकार को आकार आदेश होता है। शेष कार्य 'पटीयान्' (५ ।३।५७) के समान है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003299
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages536
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy