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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् अनु०-डीप् इत्यनुवर्तते। अन्वय:-यज्ञसंयोगे पत्यु: स्त्रियां डीप् नश्च।
अर्थ:-यज्ञसंयोगे सति पतिशब्दात् प्रातिपदिकात् स्त्रियां ङीप् प्रत्ययो भवति, तस्य चान्ते नकारादेशो भवति।
उदा०-यजमानस्य पत्नी।
आर्यभाषा: अर्थ- (यज्ञसंयोगे) यज्ञ के साथ संयोग होने पर (पत्युः) पति प्रातिपदिक से (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (डीप) डीप् प्रत्यय होता है (न:) और पति शब्द के अन्त में नकार आदेश होता है।
उदा०-यजमानस्य पत्नी। यजमान की धर्मपत्नी। सिद्धि-पत्नी। पति+डीप् । पत् नुक्+ई। पत्नी+सु । पत्नी।
यहां 'पति' शब्द से 'डीप्' प्रत्यय और उसे इस सूत्र से नकार आदेश है। ङीप्-विकल्पः
(३०) विभाषा सपूर्वस्य।३४। प०वि०-विभाषा ११ सपूर्वस्य ६।१। स०-पूर्वेण सह इति सपूर्वः, तस्य-सपूर्वस्य (बहुव्रीहि:)। अनु०-डीप, पत्यु:, न इति चानुवर्तते। अन्वय:-सपूर्वस्य पत्यु: स्त्रियां विभाषा डीप नश्च ।
अर्थ:-सपूर्वात् पति-प्रातिपदिकात् स्त्रियां विकल्पेन ङीप् प्रत्ययो भवति, तस्य चान्ते नकारादेशो भवति।
उदा०-वृद्ध: पतिर्यस्या: सा-वृद्धपत्नी, वृद्धपति: । स्थूल: पतिर्यस्याः सा-स्थूलपत्नी, स्थूलपतिः।
आर्यभाषा: अर्थ- (सपूर्वस्य) जिसके पूर्व कोई शब्द विद्यमान है उस (पत्युः) पति प्रातिपदिक से (स्त्रियाम्) स्त्रीलिङ्ग में (विभाषा) विकल्प से (डी) डीप् प्रत्यय होता है (न:) और पति शब्द के अन्त में नकार आदेश होता है।
उदा०-वृद्धः पतिर्यस्या: सा-वृद्धपत्नी, वृद्धपतिः । वृद्ध है पति जिसका वह-वृद्धपत्नी, वृद्धपति। स्थूल: पतिर्यस्या: सा-स्थूलपत्नी, स्थूलपति: । स्थूल है पति जिसका वह-स्थूलपत्नी, स्थूलपति ।
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