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________________ चतुर्थाध्यायस्य तृतीयः पादः ३७६ आर्यभाषाः अर्थ- (ततः) पञ्चमी - समर्थ (विदूरात्) विदूर प्रातिपदिक से ( प्रभवति) निकलता है, अर्थ में (ञ्यः) ञ्य प्रत्यय होता है। - विदूर से जो निकलता है वह - वैदूर्यमणि । सिद्धि-वैदूर्यः। विदूर+ङसि+व्य । वैदूर्+य । वैदूर्य+सु । वैदूर्यः । यहां पंचमी- समर्थ 'विदूर' शब्द से प्रभवति अर्थ में इस सूत्र से 'त्र्य' प्रत्यय है। पूर्ववत् अंग को आदिवृद्धि और अंग के अकार का लोप होता है। उदा० विशेष: (१) विदूर - यह वैदूर्य मणि का उत्पत्ति स्थान था । मार्कण्डेय पुराण की व्याख्या में पारजिटर ने वैदूर्य की पहिचान सातपुड़ा से की है। पतंजलि के मत में वैदूर्य मणि की खाने वालवाय पर्वत में थी। वहां से लाकर विदूर के बेगड़ी (संस्कृतवैकटिक = रत्नतराश) उसे घाट पहलों पर काटते और बींधते थे, इससे इसका नाम वैदूर्य पड़ा। सम्भव है कि दक्षिण का बीदर 'विदूर' हो (पाणिनीकालीन भारतवर्ष पृ० ४५) । (२) जैसे वणिक् लोग मंगलार्थ वाराणसी को जित्वरी कहते हैं वैसे वैयाकरण लोग वालवा पर्वत को विदूर कहते हैं :- " वणिज एव मङ्गलार्थं वाराणसीं जित्वरीति व्यवहरन्ति एवं वैयाकरणा वालवायं विदूरमुपाचरन्ति” इति पदमञ्जर्यां पण्डितहरदत्तमिश्र: ) । (३) वैदूर्य मणि वालवाय पर्वत से पैदा होता है, विदूर से नहीं, विदूर में तो उसे संस्कृत किया जाता है। “वालवायादसौ प्रभवति, न तु विदूरात्, तत्र तु संस्क्रियते” इति पण्डितजयादित्यः काशिकायाम् । गच्छति अर्थप्रत्ययविधिः यथाविहितं प्रत्ययः (१) तद् गच्छति पथिदूतयोः । ८५ । प०वि० - तत् २ ।१ गच्छति क्रियापदम् पथि - दूतयोः ७ । २ । दूतश्च तौ पथिदूतौ तयोः पथिदूतयोः सo - पन्थाश्च (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) अन्वयः-तत् प्रातिपदिकाद् गच्छति यथाविहितं प्रत्ययः पथिदूतयोः । अर्थः-तद् इति द्वितीयासमर्थात् प्रातिपदिकाद् गच्छतीत्यस्मिन्नर्थे यथाविहितं प्रत्ययो भवति, योऽसौ गच्छति पन्था दूतो वा चेत् स भवति । उदा० - स्रुघ्नं गच्छति - स्रौघ्नः पन्था दूतो वा । माथुरः । रौहितकः । Jain Education International " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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