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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् सिद्धि-(१) शर्करा । यहां शर्करा' शब्द से चातुरर्थिक यथाविहित 'अण्' प्रत्यय का लुप् है।
(२) शार्करः । यहां शर्करा' शब्द से विकल्प पक्ष में चातुरर्थिक यथाविहित 'अण्' प्रत्यय है। तद्धितेष्वचामादेः' (७।२।११७) से अंग को आदिवृद्धि होती है।
(३) शर्करिकः । यहां शर्करा' शब्द से वुञ्छण्०' (४।२।८०) से कुमुदादीय ठच्' प्रत्यय है। ठस्येकः' (७।३।५०) से ' के स्थान में इक्' आदेश होता है।
(४) शार्करकः । यहां 'शर्करा' शब्द से 'वुञ्छण' (४।२।८०) से वराहादीय कक् प्रत्यय होता है। किति च' (७।२।११८) से अंग को आदिवृद्धि होती है।
(५) शार्करिकः । यहां शर्करा' शब्द से ठक्छौ च (४।२८४) से ठक् प्रत्यय है। ह' के स्थान में पूर्ववत् 'इक्’ आदेश और पूर्ववत् अंग को आदिवृद्धि होती है।
(६) शर्करीयः। यहां शर्करा' शब्द से ठक्छौ च (४।२।८४) से 'छ' प्रत्यय है। 'आयनेय०' (७।१।२) से 'छ्' के स्थान में 'ईय्' आदेश होता है। ठक्+छ:
(१८) ठक्छौ च।८३। प०वि०-ठक्-छौ १।२ च अव्ययपदम्। स०-ठक् च छश्च तौ-ठक्छौ (इतरेतरयोगद्वन्द्व:)। अनु०-अस्मिन्नादिषु देशे तन्नाम्नि, शर्कराया इति चानुवर्तते ।
अन्वय:-यथासम्भव०शर्कराया अस्मिन्नादिषु ठक्छौ च तन्नाम्नि देशे।
अर्थ:-यथासम्भवविभक्तिसमर्थात् शर्कराशब्दात् प्रातिपदिकाद् अस्मिन्नादिषु चतुर्वर्थेषु ठक्छौ प्रत्ययौ च भवतः, तन्नाम्नि देशेऽभिधेये।
उदा०-(ठक्) शर्करा अस्मिन् देशे सन्तीति-शारिको देश: । (छ:) शर्करीयो देश:।
आर्यभाषा: अर्थ-यथासम्भव विभक्ति-समर्थ (शर्करायाः) शर्करा प्रातिपदिक से (अस्मिन्०) अस्मिन् आदि चार अर्थों में (ठक्छौ ) ठक् और छ प्रत्यय (च) भी होते हैं (तन्नाम्नि देशे) यदि वहां तन्नामक देश अर्थ अभिधेय हो।
उदा०-(ठक्) शर्करा अस्मिन् देशे सन्तीति-शार्करिको देश: । (छ:) शर्करीयो देश: । शर्करा रोड़ी (कांकर) इसमें है यह-शारिक, शर्करीय देश। कंकरीला देश।
सिद्धि-इससे प्रथम सूत्र (४।२।८३) में देख लेवें।
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