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चतुर्थाध्यायस्य द्वितीयः पादः (२) निर्वृत्तार्थ:
___ (२) तेन निवृत्तम्।६७। प०वि०-तेन ३१ निवृत्तम् १।१।। अनु०-देशे, तन्नाम्नि इति चानुवर्तते। अन्वय:-तेन तृतीयासमर्थाद् निर्वृत्तं यथाविहितं प्रत्ययस्तन्नाम्नि देशे।
अर्थ:-तेन इति तृतीयासमर्थात् प्रातिपदिकाद् निवृत्तमित्यस्मिन्नर्थे यथाविहितं प्रत्ययो भवति, तन्नाम्नि देशेऽभिधेये।
उदा०- (हतौ) सहस्रेण निर्वृत्ता साहस्री परिखा। (कर्तरि) कुशाम्बेन निर्वृत्ता कौशाम्बी नगरी।
आर्यभाषा: अर्थ-तिन) तृतीया-समर्थ प्रातिपदिक से (निवृत्तम्) बनवाना अर्थ में यथाविहितं प्रत्यय होता है (तन्नाम्नि देशे) यदि वहां तन्नामक देश अर्थ अभिधेय हो।
उदा०-हितु) सहस्रेण निर्वत्ता साहस्री परिखा। हजार कार्षापणों से बनवाई गई खाई-साहस्री। (कर्ता) कुशाम्बेन निर्वत्ता कौशाम्बी नगरी । कुशाम्ब नामक पुरुष के द्वारा बनवाई गई नगरी-कौशाम्बी।
सिद्धि-साहस्री। सहस्र+अण्। साहस्र+अ। साहस्र+डीप् । साहस्री+सु । साहस्री।
यहां हेतुवाची तृतीयासमर्थ सहस्र शब्द से निवृत्त अर्थ में यथाविहित 'अण्' प्रत्यय है। स्त्रीत्व विवक्षा में टिड्ढाणञ्' (४।१।१५) से डीप् प्रत्यय होता है। ऐसे ही-कर्तृवाची कुशाम्ब' शब्द से-कौशाम्बी।
विशेष-कौशाम्बी-वत्स देश की राजधानी का प्राचीन नाम। प्रयाग नगर से तीन मील दक्षिण-पश्चिम की ओर यह कौसम' नामक स्थान पर थी (शब्दार्थ कौस्तुभ पृ० १३८४)। (३) निवासार्थः
(३) तस्य निवासः।६८। प०वि०-तस्य ६१ निवास: १।१। अनु०-देशे, तन्नाम्नि इति चानुवर्तते ।
अन्वयः-तस्य षष्ठीसमर्थाद् निवासो यथाविहितं प्रत्ययस्तन्नाम्नि देशे।
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