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________________ चतुर्थाध्यायस्य प्रथमः पादः १६३ यह चम्पा नगरी आधुनिक भागलपुर नगर के समीप बिहार प्रान्त में थी (शब्दार्थ कौस्तुभ) । 6 (४) बङ्ग- इसे समतट भी कहते हैं। पूर्वी बंगाल का नाम । किसी समय इसमें टिपरा और गारों भी शामिल थे (शब्दार्थ कौस्तुभ ) | (५) मगध - बिहार प्रान्त में प्राचीनकाल में मगध राज्य की पश्चिमी सीमा सोन-नद था। इसकी प्राचीन राजधानी का नाम गिरिव्रज या राजगृह था । इसकी दूसरी राजधानी पाटलिपुत्र में थी। पिछले प्राचीन साहित्य में इसी का दूसरा नाम कीकट देश लिखा मिलता है (शब्दार्थ कौस्तुभ ) । (६) भर्ग- भर्गात् त्रैगर्ते (४ । १ । १११ ) के अनुसार त्रिगर्त देश में 'भर्ग' एक गोत्र का नाम था। सूत्रांक ४। १ । १७८ में भर्ग जनपद है। वह एक राज्य था अथवा गण-शासन यह अष्टाध्यायी से स्पष्ट नहीं होता, किन्तु बौद्ध साहित्य में 'भग्ग' एक संघ था, जिसकी राजधानी शिशुमारगिरि थी (पाणिनिकालीन भारतवर्ष) । (७) यौधेय - महाभारत के अनुसार बहुधान्यक प्रदेश में रोहीतक (रोहतक) इनकी राजधानी थी | सुनेत (सुनेत्र) यौधेयों का पूरा केन्द्र था जहां उनकी मुद्रायें मिली हैं। (पाणिनिकालीन भारतवर्ष)। यौधेय जनपद एक गणराज्य था, एक राज्य नहीं । गुरुप्रवर भगवान्देव आचार्य ने 'यौधेयगण के मुद्राङ्क' आदि उच्चकोटि के प्रामाणिक ग्रन्थ लिखे हैं जो गुरुकुल झज्जर (झज्जर) से प्रकाशित हुये हैं। इति अपत्यार्थप्रत्ययप्रकरणम् । इति पण्डितसुदर्शनदेवाचार्यविरचिते पाणिनीयाष्टाध्यायीप्रवचने चतुर्थाध्यायस्य प्रथमः पादः समाप्तः । । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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