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________________ ११३ चतुर्थाध्यायस्य प्रथमः पादः । सिद्धि-(१) सौपर्णेयः । सुपर्णी+डस्+ढक् । सौपर्ण+एय। सौपर्णेय+सु । सौपर्णेयः । यहां षष्ठी-समर्थ स्त्री-प्रत्ययान्त 'सुपर्णी' शब्द से अपत्य अर्थ में इस सूत्र से ढक्' प्रत्यय है। 'किति च' (७।२।१२८) अंग को आदिवृद्धि और पूर्ववत् अंग 'इकार' का लोप होता है। (२) वैनतेयः । विनता डस्+ढक् । वैनत्+एय। वैनतेय+सु। वैनतेयः । पूर्ववत् । विशेष-कश्यप ऋषि की सुपर्णी और विनता दो पत्नियां थीं। सुपर्णी के पुत्र सौपर्णेय और विनता के पुत्र वैनतेय कहाते हैं। वैनतेय-गरुड़। गरुड़ आकाशीय उड्डयन विद्या में कुशल था। इसका पक्षीविशेष अर्थ भ्रान्तिपूर्ण है। गरुड़ के छोटे भाई का नाम अरुण था। ढक् (२) व्यचः १२१। प०वि०-द्वि-अच: ५।१। स०-द्वावचौ यस्मिन् स व्यच्, तस्मात्-व्यच: (बहुव्रीहिः) । अनु०-तस्य, अपत्यम्, स्त्रीभ्यः, ढक् इति चानुवर्तते। अन्वय:-तस्य स्त्रिया व्यचोऽपत्यं ढक् । अर्थ:-तस्य इति षष्ठीसमर्थात् स्त्रीप्रत्ययान्ताद् द्वयच: प्रातिपदिकाद् अपत्यमित्यस्मिन्नर्थे ढक् प्रत्ययो भवति । उदा०-गङ्गाया अपत्यम्-गाङ्गेय: । दत्ताया अपत्यम्-दात्तेय: । गोप्या अपत्यम्-गौपेयः। आर्यभाषा: अर्थ-(तस्य) षष्ठी-समर्थ (स्त्रीभ्यः) स्त्री-प्रत्ययान्त (द्वयच:) दो अच् वाले प्रातिपदिक से (अपत्यम्) अपत्य अर्थ में (ढक्) ढक् प्रत्यय होता है। उदा०-गङ्गाया अपत्यम्-गाङ्गेयः । गङ्गा का पुत्र-गाङ्गेय (भीष्म)। दत्ताया अपत्यम्-दात्तेयः । दत्ता नामक स्त्री का पुत्र-दात्तेय। गोप्या अपत्यम्-गौपेय: । गोपी नामक स्त्री का पुत्र-गौपेय। सिद्धि-गाङ्गेयः । गङ्गा+डस्+ढक् । गाङ्ग्+एय। गाङ्गेय+सु। गाङ्गेयः । यहां षष्ठी-समर्थ नदीवाची, स्त्रीप्रत्ययान्त, दो अच्वाले 'गङ्गा' शब्द से अपत्य अर्थ में इस सूत्र से 'ढक' प्रत्यय है। 'आयनेय०' (७।१।२) से 'द' के स्थान में एय्' आदेश होता है। पूर्ववत् अंग को आदिवृद्धि तथा अंग के आकार का लोप होता है। यह 'अवृद्धाभ्यो नदीमानुषीभ्यस्तन्नामिकाभ्यः' (४।१।११३) से प्राप्त 'अण्' प्रत्यय का अपवाद है। ऐसे ही-दात्तेय: आदि। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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