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________________ ५०६ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् आर्यभाषा-अर्थ-(तस्प्रत्यये) तस्-प्रत्ययान्त (स्वागे) स्वाङ्गवाची शब्द उपपद होने पर (कृभ्वोः) कृ, भू (धातो:) धातुओं से परे (क्त्वाणमुलौ) क्त्वा और णमुल् प्रत्यय होते हैं। यहां यथासंख्य प्रत्ययविधि अभीष्ट नहीं है। उदा०-संस्कृतभाग में देख लेवें। अर्थ इस प्रकार है-(क) आगे से करके चला गया। पीछे से करके चला गया। (भू) आगे से होकर चला गया। पीछे से होकर चला गया। सिद्धि-(१) मुखतःकृत्य । मुख+तस् । मुखतः । मुखत:+कृ+क्त्वा। मुखत:+कृ+ल्यप् । मुखत:+कृ+तुक+य। मुखत:+कृत्य। मुखत:कृत्य+सु । मुखतःकृत्य। यहां प्रथम स्वाङ्गवाची मुख शब्द से 'अपादाने चाहीयरुहो:' (५।४।४५) से तस् प्रत्यय है। तस्-प्रत्ययान्त स्वाङ्गवाची मुखत:' शब्द उपपद होने पर 'कृ' धातु से इस सूत्र से क्त्वा प्रत्यय है। शेष कार्य नीचैःकृत्य' (३।३।५९) के समान है। असमास पक्ष में-मुखत: कृत्वा। (२) मुखत:कारम् । पूर्वोक्त मुखत: शब्द उपपद होने पर कृ' धातु से णमुल्' प्रत्यय है। अचो मिति' (७।२।११५) से कृ' धातु को वृद्धि होती है। (३) मुखतोभूय । भू सत्तायाम् (भ्वा०प०) पूर्ववत्।। (४) मुखतोभावम् । भू सत्तायाम्' (भ्वा०प०) पूर्ववत् असमास पक्ष में-'मुखतो भावम् पृथक्-पृथक् पद और पृथक्-पृथक् स्वर होता है। क्त्वा-णमुल् (च्चि-अर्थे) (४) नाधार्थप्रत्यये च्च्यर्थे । ६२ । प०वि०-नाधार्थ-प्रत्यये ७१ च्वि-अर्थे ७।१। स०-नाश्च धाश्च तौ नाधौ, तयोरर्थ इवार्थो येषां ते नाधार्थाः । नाधार्थाः प्रत्यया यस्मात् स:-नाधार्थप्रत्ययः, तस्मिन्-नाधार्थप्रत्यये (इतरेतरयोगद्वन्द्वगर्भितबहुव्रीहि:)। च्वेरर्थ इति च्व्यर्थः, तस्मिन्-च्व्यर्थे (षष्ठीतत्पुरुषः)। अनु०-क्त्वाणमुलौ, कृभ्वोरिति चानुवर्तते।। अन्वय:-च्चि-अर्थे नाधार्थप्रत्यये कृभूभ्यां धातुभ्यां क्त्वाणमुलौ । अर्थ:-च्वि-अर्थे अभूततद्भावेऽर्थे नाधार्थप्रत्ययान्ते शब्दे उपपदे कृभूभ्यां धातुभ्यां परौ क्त्वाणमुलौ प्रत्ययौ भवतः । उदा०-(१) (नार्थे-कृ+क्त्वा) अनाना नाना कृत्वा गत इति नानाकृत्य गत:। नाना कृत्वा गतः। अविना विना कृत्वा गत इति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003297
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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