SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 498
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८५ तृतीयाध्यायस्य चतुर्थः पादः अनु०-णमुल्, कर्मणि इति चानुवर्तते।। अन्वय:-समूलाकृतजीवेषु कर्मसु हन्कृञ्ग्रहो धातोर्णमुल् । अर्थ:-समूलाकृतजीवेषु कर्मसु उपपदेषु यथासंख्यं हन्कृञ्ग्रहिभ्यो धातुभ्यो णमुल् प्रत्ययो भवति। उदा०-(समूलम्) समूलघातं हन्ति । समूलं हन्तीत्यर्थः । (अकृतम्) अकृतकारं करोति। अकृतं करोतीत्यर्थः। (जीव:) जीवग्राहं गृह्णाति । जीवं गृह्णातीत्यर्थः। आर्यभाषा-अर्थ- (समूलाकृतजीवेषु) समूल, अकृत, जीव शब्द (कमणि) कर्म उपपद होने पर यथासंख्य (हन्कृञ्ग्रह:) हन्, कृञ्. ग्रह (धातो:) धातुओं से (णमुल्) णमुल् प्रत्यय होता है। उदा०-(समूल) समूलघातं हन्ति । समूल नष्ट करता है। (अकृत) अकृतकारं करोति । अकृत कार्य को करता है। (जीव) जीवग्राहं गृह्णाति । जीव को पकड़ता है। सिद्धि-(१) समूलघातम् । समूल+अम्+हन्+णमुल् । समूल+हन्+अम्। समूल+घन्+अम् । समूल+घत्+अम् । समूल+घात्+अम्। समूलघातम्+सु। समूलघातम् । यहां समूल कर्म उपपद होने पर हन हिंसागत्योः ' (अदा०प०) धातु से णमुल्' प्रत्यय है। हो हन्तेणिन्नेषु' (७।३।५४) से हन्' धातु के ह' को कुत्व घ्', हनस्तोऽचिण्णलो:' (७।३।३२) से हन्' धातु के न्' को त्' होता है। प्रत्यय के णित् होने से 'अत उपधायाः' (८।२।११६) से हन्' धातु को उपधावद्धि होती है। (२) अकृतकारम् । अकृत कर्म उपपद होने पर 'डुकृञ् करणे (तना०उ०) धातु से इस सूत्र से णमुल्' प्रत्यय है। प्रत्यय के णित् होने से 'अचो णिति' (७।२।११५) से 'कृ' धातु को वृद्धि होती है। (३) जीवग्राहम् । जीव कर्म उपपद होने पर 'ग्रह उपादाने (क्रया०प०) धातु से इस सूत्र से णमुल्' प्रत्यय है। पूर्ववत् उपधावृद्धि होती है। णमुल् __(११) करणे हनः ।३७। प०वि०-करणे ७१ हन: ५।१ । अनु०-णमुल् इत्यनुवर्तते। अन्वय:-करणे हनो धातोर्णमुल् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003297
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy