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________________ ४३७ तृतीयाध्यायस्य तृतीयः पादः कृत्य:, कार्यो वा। (लोट) प्रेषितो भवान् गच्छतु ग्रामम्। अतिसृष्टो भवान् गच्छतु ग्रामम् । प्राप्तकालो भवान् गच्छतु ग्रामम्। आर्यभाषा-अर्थ-(प्रैषातिसर्गप्राप्तकालेषु) प्रैष-प्रेरणा करना, अतिसर्ग-कामचारपूर्वक आज्ञा देना, प्राप्तकाल-समय आना अर्थ में (धातो:) धातु से परे (वर्तमाने) वर्तमानकाल में (कृत्याः) कृत्यसंज्ञक प्रत्यय (च) और (लोट्) लोट् प्रत्यय होता है। उदा०-(कृत्य) भवता कट: करणीयः, कर्तव्यः, कृत्य:, कार्यो वा । प्रैष-आप चटाई बनावें। अतिसर्ग=आपकी इच्छा है, आप चटाई बनावें। प्राप्तकाल आपका समय आगया है, आप चटाई बनावें। (लोट्) प्रेषितो भवान् गच्छतु ग्रामम् । भेजे हुये आप गांव जावें । अतिसृष्टो भवान् गच्छतु ग्रामम् । आपकी इच्छा है, आप गांव जावें । प्राप्तकालो भवान् गच्छतु ग्रामम् । आपका समय आगया है, आप गांव जावें। सिद्धि-(१) करणीय: । यह 'डुकृञ् करणे' (तना० उ०) धातु से इस सूत्र से प्रैष आदि अर्थो में वर्तमानकाल में 'तव्यत्तव्यानीयरः' (३।१।९६) से कृत्यसंज्ञक 'अनीयर्' प्रत्यय है। (२) कर्तव्यः । पूर्ववत् कृत्यसंज्ञक तव्य' प्रत्यय है। (३) कृत्य: । यहां पूर्वोक्त 'कृ' धातु से 'विभाषा कृवृषोः' (३।१ ।१२०) से कृत्यसंज्ञक क्यप्' प्रत्यय है। (४) कार्य: । यहां पूर्वोक्त कृ' धातु से ऋहलोर्ण्यत्' (३।१।१२४) से कृत्यसंज्ञक ण्यत्' प्रत्यय है। (५) गच्छतु । यहां 'गम्तृ गतौ' (भ्वा०प०) धातु से इस सूत्र से प्रैष आदि अर्थो में वर्तमानकाल में 'लोट्' प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है। लिङ्+कृत्याः+लोट् (प्रैषादिषु) (५) लिङ् चोर्ध्वमौहूर्तिके ।१६४ । प०वि०-लिङ् ११ च अव्ययपदम्, ऊर्ध्वमौहूर्तिके ७१। स०-ऊर्ध्व मुहूर्तादिति-ऊर्ध्वमुहूर्त्तम् (अस्मादेव निपातनात्पञ्चमीतत्पुरुषः) । ऊर्ध्वमुहूर्ते भवमिति ऊर्ध्वमौहूर्तिकम् ‘बहचोऽन्तोदात्ता (४।३।८७) इति ठञ् प्रत्यय: (अस्मादेव निपातनादुत्तरपदवृद्धि:)। अनु०-वर्तमाने, लोट, प्रैषातिसर्गप्राप्तकालेषु, कृत्या इति चानुवर्तते । अन्वय:-प्रैषातिसर्गप्राप्तकालेषु धातोरूर्ध्वमौहूर्तिके वर्तमाने लोट, कृत्या लिट् च। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003297
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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