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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम्
(४) आगमिष्यति । इस पद में विकल्प पक्ष में भविष्यत्काल में 'लृट् शेषे च' (३ | ३ |१३) से 'लृट्' प्रत्यय है।
(५) अध्यगीष्महि । इस पद में इस सूत्र से भविष्यत्काल में 'लुङ्' (३ । २ । ११०) से 'लुङ्' प्रत्यय है।
(६) अधीतवन्तः । इस पद में इस सूत्र से भविष्यत्काल में 'निष्ठा' (३ ।२1१०२ ) से 'क्त' प्रत्यय है।
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(७) अधीमहे । इस पद में इस सूत्र से भविष्यत्काल में 'वर्तमाने लट् (३।२।१२३) से 'लट्' प्रत्यय है।
(८) अध्येष्यामहे । इस पद में विकल्प पक्ष में भविष्यत्काल में 'लृट् शेषे च' (३ | ३ |११३) से 'लृट्' प्रत्यय है।
विशेष- यहां आशंसा अर्थ में भूतकाल और वर्तमानकाल में विहित प्रत्यय भी भविष्यत्काल अर्थ में होते हैं। लृट् (भविष्यति)
प०वि० - क्षिप्रवचने ७ । १ लृट् १ । १ ।
स० - क्षिप्रस्य वचनमिति क्षिप्रवचनम्, तस्मिन् क्षिप्रवचने
(षष्ठीतत्पुरुषः) ।
(२१) क्षिप्रवचने लृट् । १३३ ।
अनु०-आशंसायाम् इत्यनुवर्तते ।
अन्वयः-क्षिप्रवचने आशंसायां धातोर्लट् ।
अर्थ :- क्षिप्रवचने उपपदे आशंसायां गम्यमानायां धातोः परो लृट् प्रत्ययो भवति ।
उदा०-उपाध्यायश्चेत् क्षिप्रमागमिष्यति, वयं क्षिप्रं व्याकरण
मध्येष्यामहे ।
आर्यभाषा - अर्थ - (क्षिप्रवचने) 'क्षिप्र' शब्द उपपद होने पर (आशंसायाम्) अप्राप्त प्रिय पदार्थ की प्राप्ति की इच्छा में (धातोः) धातु से परे (लृट्) लृट् प्रत्यय होता है। उदा०-उपाध्यायश्चेत् क्षिप्रमागमिष्यति वयं क्षिप्रं व्याकरणमध्येष्यामहे । यदि उपाध्याय जी शीघ्र आ जायेंगे तो हम शीघ्र व्याकरण पढ़ेंगे।
सिद्धि - (१) आगमिष्यति। यहां क्षिप्र' शब्द उपपद होने पर आशंसा अर्थ में इस सूत्र से लृट्' प्रत्यय है ।
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(२) अध्येष्यामहे। यहां 'अधि' उपसर्गपूर्वक 'इङ् अध्ययने' (अदा०आ०) धातु इस सूत्र से 'लृट्' प्रत्यय है।
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