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________________ तृतीयाध्यायस्य तृतीयः पादः ३०३ सिद्धि - (१) भोक्तुम् | यहां भुजि क्रिया के लिये व्रजि क्रिया उपपद होने पर 'भुज पालनाभ्यवहारयोः' (रुधा०प०) धातु से इस सूत्र से 'तुमुन्' प्रत्यय है। 'चोः कुः' (८/२/३०) से 'भुज्' धातु के 'ज्' को कुत्व 'ग्' और 'खरि च' (८/४/५४) से 'ग्' को चर् 'क्' होता है। 'पुगन्तलघूपधस्य च' (७ 1३।८६) से लघूपध गुण है। (२) भोजक: । यहां पूर्वोक्त 'भुज्' धातु से इस सूत्र से 'ण्वुल्' प्रत्यय है। प्रत्यय के 'वु' के स्थान में 'युवोरनाक' (७ 1१1१) से 'अक' आदेश होता है । पूर्ववत् लघूपध गुण है। घञादय: (६) भाववचनाश्च | ११ | प०वि० - भाववचना: १ । ३ च अव्ययपदम् । स०- ब्रुवन्तीति वचना: 'कृत्यल्युटो बहुलम्' (३ । ३ । ११३ ) इति बहुलवचनात् कर्तरि 'ल्युट्' प्रत्ययः । भावस्य वचना इति भाववचनाः (षष्ठीतत्पुरुषः) । अनु० - भविष्यति क्रियायां क्रियार्थायामिति चानुवर्तते । अन्वयः - क्रियार्थायां क्रियायां धातोर्भविष्यति भाववचनाश्च प्रत्ययाः । अर्थ:- क्रियार्थायां क्रियायामुपपदे धातोः परे भविष्यति कालेऽग्रे वक्ष्यमाणा भाववचना घञादयो प्रत्यया अपि भवन्ति । उदा०- (घञ्) पाकाय व्रजति देवदत्तः । ( क्तिन्) भूतये व्रजति ब्रह्मदत्तः । पुष्टये व्रजति यज्ञदत्तः । आर्यभाषा-अर्थ- (क्रियार्थायाम् ) किसी क्रिया के लिये (क्रियायाम् ) कोई क्रिया उपपद होने पर ( धातोः) धातु से परे (भविष्यति) भविष्यत्काल में आगे कहे जानेवाले (भाववचनाः) भाववाची घञ् आदि प्रत्यय (च) भी होते हैं। उदा०- - ( घञ्) पाकाय व्रजति देवदत्तः । देवदत्त पकाने के लिये जाता है । (क्तिन्) भूतये व्रजति ब्रह्मदत्तः । ब्रह्मदत्त भूति-ऐश्वर्य के लिये जाता है । पुष्टये व्रजति यज्ञदत्तः । यज्ञदत्त पुष्टि के लिये जाता है। सिद्धि - (१) पाक: । पच्+घञ् । पच्+अ । पक्+अ । पाक्+अ । पाक+सु । पाकः । यहां 'पचि' क्रिया के लिये 'व्रजि' क्रिया उपपद होने पर 'डुपचष् पाके' (भ्वा० उ० ) धातु से 'भाव' (३ | ३ | १८) से भाव अर्थ में 'घञ्' प्रत्यय है । 'चजो: कु घिण्यतो : ' (७/३/५२) से पच् के 'च्' को कुत्व 'क' होता है। 'अत उपधायाः' (७।२1११६) से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003297
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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