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________________ २४४ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् विशेष-(१) तच्छील। फल की अनपेक्षा से स्वभाव से उस क्रिया में प्रवृत्त होनेवाला। (२) तद्धर्मा। जो स्वभाव के विना भी मेरा यह धर्म है इस भावना से क्रिया में प्रवृत्त होनेवाला। (३) तत्साधुकारी। उस-उस क्रिया को कुशलता से करनेवाला। तृन् (१) तृन्।१३५ प०वि०-तृन् १।१। अनु०-वर्तमाने, तच्छीलतद्धर्मतत्साधुकारिषु इति चानुवर्तते। अन्वय:-धातोर्वर्तमाने तृन् तच्छीलादिषु। अर्थ:-सर्वेभ्यो धातुभ्यो वर्तमाने काले तृन् प्रत्ययो भवति, तच्छीलतद्धर्मतत्साधुकारिषु कर्तृषु। उदा०-(तच्छील:) कर्ता कटान् देवदत्तः। वदिता जनापवादान् यज्ञदत्तः। (तद्धर्मा) मुण्डयितार: श्राविष्ठायना भवन्ति वधूमूढाम् । अन्नमपहर्तार आहरका भवन्ति श्राद्धे सिद्धे। (तत्साधुकारी) कर्ता कटं देवदत्त: । गन्ता खेटम् यज्ञदत्तः । आर्यभाषा-अर्थ-(धातो:) धातुमात्र से (वर्तमाने) वर्तमानकाल में (हृन्) तृन् प्रत्यय होता है, यदि उस धातु का कर्ता (तच्छीलतद्धर्मतत्साधुकारिषु) तच्छील-उस स्वभाववाला, तद्धर्मा=उसे धर्म माननेवाला और तत्साधुकारी-उसे कुशलतापूर्वक करनेवाला हो। उदा०-(तच्छील) कर्ता कटान् देवदत्तः। देवदत्त स्वभाव से चटाई बनानेवाला है। वदिता जनापवादान् यज्ञदत्तः । यज्ञदत्त स्वभाव से लोगों की निन्दा करनेवाला है। (तद्धर्मा) मुण्डयितार: श्राविष्ठायना भवन्ति वधूमूढाम् । श्राविष्ठायन गोत्र के लोग विवाहित वधू का मुण्डन करना अपना कुलधर्म मानते हैं। अन्नमपहर्तार आहरका भवन्ति श्राद्धे सिद्धे । आहरक देश के लोग श्राद्ध तैयार होने पर अन्न-अपहरण करना अपना धर्म समझते हैं। (तत्साधुकारी) कर्ता कटं देवदत्तः । देवदत्त चटाई को कुशलतापूर्वक बनानेवाला है । गन्ता खेटं यज्ञदत्तः । यज्ञदत्त शिकार को कुशलतापूर्वक प्राप्त करनेवाला है। सिद्धि-(१) कर्ता । कृ+तृन्। कर+तृ। कर्तृ+सु। क अनङ्+सु । कर्तन्+सु । कर्तान्+सु। कर्तान्+० । कर्ता+० । कर्ता। यहां तच्छील के कर्तृत्व में, वर्तमानकाल में, 'डुकृञ् करणे (तना०उ०) धातु से इस सूत्र से तृन् प्रत्यय है। यहां सार्वधातुकार्धधातुकयोः' (७ १३ १८४) से कृ' को गुण, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003297
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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