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________________ ३१ भूमिका २. दयानन्द यजुर्वेदभाष्य भास्कर (४ भाग)। ३. दयानन्द ऋग्वेदभाष्य भास्कर (२ भाग)। ४. शिक्षा वेदांग परम्परा एवं सिद्धान्त (मुद्रणालय में)। ५. वर्णोच्चारण-शिक्षा (विबोधवृत्ति)। ६. दयानन्द सन्ध्याहवन पद्धति । ७. वैदिक उपासना पद्धति। ८. बाल संस्कारविधि (संस्कृत)। ९. वर्षेष्टि यज्ञपद्धति। १०. व्याकरण कारिकाप्रकाश। ११. लिङ्गानुशासनवृत्ति। १२. व्याकरणशास्त्राम् (दो भाग)। १३. ब्रह्मचर्यामृतम्। १४. पं० जगदेवसिंह सिद्धान्ती जीवन-चरित्र। पुरस्कार आपकी उक्त साहित्य-सेवा के फलस्वरूप 'आर्यसमाज सान्ताक्रुज, बम्बई ने दिनांक २८ जनवरी १९९६ को आपको वेद-वेदांग पुरस्कार से सम्मानित किया है। आप आर्यजगत् के सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान् हैं। आपने अपनी साहित्य-रचना की श्रृंखला में 'पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम्' नामक यह नयी रचना व्याकरण-जिज्ञासु छात्र-छात्राओं तथा स्वाध्यायशील पाठकों की सेवा में प्रस्तुत की है। आशा है इससे व्याकरण-शास्त्र के क्षेत्र में पाठकवृन्द को अवश्य ही नया प्रकाश तथा लाभ प्राप्त होगा। संचालकआचार्य प्रिंटिंग प्रेस, दयानन्दमठ, रोहतक-१२४००१ दूरभाष : ४६८७४, S.T.D. : ०१२६२ वेदव्रत शस्त्री मन्त्री, आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा, १६-७-१९९७ ई० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003296
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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