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भूमिका गुरुकुल में नव-जीवन का संचार होगया। एक मुर्झाते हुए तरु को जलधारा मिलगई। एक टिम-टिमाते हुए दीपक में तेल डाल दिया गया। एक अनाथ बालक को माता-पिता-भाई मिल गए। पं० विश्वम्भरदत्त जी का तप फलने लगा। श्रद्धेय आचार्य भगवान्देव (वर्तमान- स्वामी ओमानन्द सरस्वती) जी के आचार्यत्व में आज यह गुरुकुल प्रगति के शिखर पर है। आज गुरुकुल में निम्नलिखत विभाग समाज की सेवा में समर्पित हैं१. विश्वम्भर वैदिक पुस्तकालय । २. आर्य गोशाला (भारत में प्रसिद्ध)। ३. धर्मार्थ औषधालय (कैंसर आदि असाध्य रोगों की चिकित्सा)। ४. आर्य आयुर्वेदिक रसायनशाला। ५. सुधारक (मासिक-पत्रिका)। ६. • हरयाणा साहित्य संस्थान (आर्षग्रन्थों का प्रकाशनविभाग) ७. हरयाणा प्रान्तीय पुरातत्त्व संग्रहालय (अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त)। ८. मुनि देवराज शोध संस्थान । ९. श्रीमद् दयानन्दार्ष विद्यापीठ (आर्षपाठ विधि के अनुसार शिक्षा देनेवाले सभी
गुरुकुलों का एक संघटन तथा महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक से सम्बद्ध)। १०. महर्षि स्वामी विरजानन्द आर्ष धर्मार्थ न्यास (संस्कृत भाषा के विकास के लिए
छात्रवृत्ति, विद्वानों का सम्मान तथा आर्षग्रन्थों का प्रकाशन)।
एक दिव्य पुरुष
गुरुकुल झज्जर के महान् आचार्य भगवान्देव (स्वामी ओमानन्द सरस्वती) नैष्ठिक ब्रह्मचारी, वीतराग संन्यासी, सन्तशिरोमणि, परम तपस्वी, संस्कृत भाषा के मर्मज्ञ और महान् इतिहासवेत्ता, एक दिव्य पुरुष हैं । आपने ऐतिहासिक, नैतिक, वैद्यक, समाजसुधार और ब्रह्मचर्यविषयक कितने ही ग्रन्थों की रचना की है। आप अष्टाध्यायी महाभाष्य तथा वेदादि शास्त्रों के प्रकाशक और महान् प्रचारक हैं। आपकी सेवाओं के फलस्वरूप हरयाणा सरकार ने आपको 'संस्कृत पण्डित' तथा भारत सरकार ने 'राष्ट्रीय पण्डित की उपाधि से पुरस्कृत किया है।
आप एक व्यक्ति नहीं अपितु स्वयं ने एक संस्था हैं। आप कन्या गुरुकुल नरेला दिल्ली के तथा श्रीमद् दयानन्दार्षविद्या पीठ गुरुकुल झज्जर के कुलपति, यतिमण्डल भारत तथा आर्यप्रतिनिधि हरयाणा के प्रधान, परोपकारिणी सभा अजमेर के का० प्रधान, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरद्वार की शिष्टपरिषद् के सदस्य, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के अन्तरंग सदस्य और अखिल भारतीय इतिहास-परिषद् (भारत-सरकार) के परामर्शदाता हैं।
आर्षपाठ विधि के द्वारा वैदिक विद्वान् तथा नैष्ठिक ब्रह्मचारी तैयार करके देश-देशान्तर और द्वीप-द्वीपान्तर में वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार करके यथार्थ आदर्श
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