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________________ भूमिका २३ में रत हैं। ग्राम बोन्तापल्ली जिला मेदक (आ०प्र०) में पातंजल योग मठ की स्थापना की। आज इस मठ का संचालन आपकी शिष्या ब्रह्म योगभारती कर रही है। शिष्यमण्डल आपके पावन चरणों में बैठकर जिन्होंने अष्टाध्यायी, महाभाष्य आदि आर्षग्रन्थों के अध्ययन का सौभाग्य प्राप्त किया उन प्रमुख आर्य विद्वानों के नाम ये हैं- पं० सुरेन्द्र कुमार शास्त्री अलीगढ़ (उ०प्र०), पं० विश्वप्रिय शास्त्री लेदरपुर (बिजनौर), पं० बुद्धदेव शास्त्री लेदरपुर (बिजनौर), पं० श्रुतिकान्त (मद्रास), पं० भद्रसेन (मद्रास), ब्र० भगवान्देव आचार्य (नरेला), पं० विश्वदेव शास्त्री कैलाशनगर दिल्ली, डॉ० वेदव्रत आलोक (सुपुत्र) आदि। आपके द्वारा लगाया गया एक तरुवर 'श्रीमद् दयानन्द वेद विद्यालय गोतमनगर, नई दिल्ली' अष्टाध्यायी आदि आर्षग्रन्थों के शिक्षार्थी छात्रों को अनुपम शरण प्रदान कर रहा है और इस तरुवर की छाया में बैठकर कितने ही ब्रह्मचारी आज वेदामृत का पान कर रहे हैं। ७. ब्र० भगवान्देव आचार्य (स्वामी ओमानन्द सरस्वती) जन्म आपका जन्म चैत्र बदी८ सं० १९६७ वि० तदनुसार मार्च १९१० ई० में दिल्ली के सुप्रसिद्ध उपनगर नरेला (मामूरपुर) में एक प्रतिष्ठित क्षत्रिय-परिवार में चौ० कनकसिंह के घर हुआ। आपके पूज्य पिता महर्षि दयानन्द के अनन्य भक्त एवं दृढ़ आर्यसमाजी थे। शिक्षा आपकी प्रारम्भिक शिक्षा नरेला में हुई और आपने उच्च शिक्षा सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली में प्रारम्भ की। अंग्रेज-सरकार के भारतीयों पर घोर अत्याचारों को देखकर आपको अंग्रेजी-शिक्षा तथा सभ्यता से घोर घृणा होगई। सत्यार्थप्रकाश आदि महर्षिकृत ग्रन्थों में लिखित आर्ष शिक्षा पद्धति के प्रति अगाध श्रद्धा बढ़ने लगी अत: आपने कॉलेज-शिक्षा को मध्य में ही लात मारकर पवित्र आर्ष शिक्षा पद्धति की शरण ली। आर्ष शिक्षा प्रणाली के अनन्य अनुरक्त भक्त आचार्य राजेन्द्रनाथ शास्त्री के चरणों में बैठकर दयानन्द वेद विद्यालय दिल्ली में अष्टाध्यायी, महाभाष्य आदि आर्षग्रन्थों का अध्ययन किया। गुरुकुल चित्तौडगढ़ में स्वामी व्रतानन्द जी महाराज से पाणिनीय व्याकरण-शास्त्र का परिशीलन किया। गुरुकुल रावलपिण्डी में पं० मुक्तिराम (स्वामी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003296
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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