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________________ १४४ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् (२) ब्राह्मणा: । ब्राह्मण+जस् । ब्राह्मण+अस् । ब्राह्मणाः । यहां ब्राह्मण शब्द से स्वौजसः' (४।१।२) जस् प्रत्यय करने पर इस सूत्र से प्रत्यय के ज्' की इत् संज्ञा होती है। (३) शाण्डिक्यः । शण्डिक+ज्य। शण्डिक+य। शाण्डिक्+य। शाण्डिक्य+सु। शाण्डिक्यः। यहां शण्डिक शब्द से शण्डिकादिभ्यो व्यः' (४।३।९२) से ज्य' प्रत्यय करने पर इस सूत्र से प्रत्यय के ज्' की इत् संज्ञा होती है। (४) कुरुचरी। कुरु+च+ट। कुरु+च+अ। कुरुचर+डीप्। कुरुचर+ई। कुरुचरी+सु। कुरुचरी। यहां कुरु उपपदवाली चर् गतौ (भ्वा०प०) धातु से चरेष्ट:' (३।२।१६) से ट प्रत्यय करने पर इस सूत्र के प्रत्यय के 'ट्' की इत् संज्ञा होती है। स्त्रीत्व की विवक्षा में टिड्ढाणञ्' (४।१।१५) से डीप् प्रत्यय होता है। (५) उपसरजः । उपसर+जन्+ड। उपसर+जन्+अ। उपसर++अ। उपसरज+सु। उपसरजः। यहां उपसर उपपदवाली जनी प्रादुर्भावे' (दि०आ०) धातु से सप्तम्यां जनेर्ड:' (३।२।९७) से ड प्रत्यय होता है। इस सूत्र से प्रत्यय के ड्' की इत् संज्ञा होती है। प्रत्यय के डित् होने से डित्त्वादभस्यापि टेर्लोप:' से जन् के टि भाग का लोप हो जाता है। (६) आन्नः । अन्न+ण। आन्न्+अ। आन्न+सु । आन्न: । यहां 'अन्न' शब्द से लब्धा' अर्थ में 'अन्नाण्णः' (४।४।८५) से ण प्रत्यय है। इस सूत्र से ण प्रत्यय के ण की इत् संज्ञा होती। तद्धितेष्वचामादेः' (७।२।११७) से आदिवृद्धि होती है। अतद्धिता लकारशकारकवर्गाः लशक्वतद्धिते।६। प०वि०-ल-श-कु १।१ अतद्धिते ७।१। स०-लश्च श् च कुश्च एतेषां समाहार:-लश्कु (समाहारद्वन्द्व:)। न तद्धित इति अतद्धितः, तस्मिन्-अतद्धिते (नञ्तत्पुरुषः)। अनु०-'उपदेशे प्रत्ययस्य, आदि:, इत्' इत्यनुवर्तते। अन्वय:-उपदेशेऽतद्धिते लश्कु इत्। अर्थ:-पाणिनीय-उपदेशे तद्धितवर्जितानां प्रत्ययस्यादौ वर्तमानानां लकार-शकार-कवर्गाणाम् इत् संज्ञा भवति। उदा०-(ल) ल्युट् च-चयनम् । जनयम्। (श्) कर्तरि शप्-भवति। पचति । कवर्ग:-(क) क्तक्तवतू निष्ठा-भुक्त: । भुक्तवान्। (ख) प्रियवशे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003296
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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