SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 150
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०६ प्रथमाध्यायस्य द्वितीयः पादः एकश्रुतिविकल्पः (७) उच्चस्तरां वा वषट्कारः ।३५ । प०वि०-उच्चस्तराम् अव्ययपदम्, वा अव्ययपदम्, वषट्कार: १।१। अनु०-'यज्ञकर्मणि, एकश्रुति' इत्यनुवर्तते। अन्वय:-यज्ञकर्मणि वषट्कारो वा उच्चस्तराम् । अर्थ:-यज्ञकर्मणि वौषट् शब्दो विकल्पेन उदात्ततरो भवति, पक्षे चैकश्रुतिस्वरो भवति। उदा०-उदात्ततर:-सोमस्याग्नेर्वीही३वौषट्। एकश्रुतिस्वर:सोमस्याग्नेर्वीही३ वौषट् । वषट्कार: सरस्वती (मैत्रायणी संहिता ३।११।५) आर्यभाषा-अर्थ-(यज्ञकर्माण) यज्ञ-कर्म में (वषट्कारः) वौषट् शब्द (वा) विकल्प से (उच्चस्तैराम्) उदात्ततर होता है। द्वितीय पक्ष में एकश्रुति स्वर होता है। उदात्ततर-सोमस्याग्ने वीही३ वौ३षट् । एकश्रुति-सोमस्याग्ने वीही३ वौषट् । विशेष-(१) यहां वषट्कार शब्द से वौषट् शब्द का ग्रहण किया जाता है। प्रश्न-यदि ऐसा है तो वौषट् शब्द का उपदेश क्यों नहीं किया ? उत्तर-विचित्रता के लिये। पाणिनिमुनि के सूत्रों की रचना विचित्र है। (पं0 जयादित्य)। (२) महर्षि दयानन्द ने अपने अष्टाध्यायीभाष्य में वषट्कार' शब्द का ही ग्रहण किया है, वौषट्' शब्द का नहीं और यहां वषट्कारः' सरस्वती उदाहरण दिया है। (८) विभाषा छन्दसि ।३६ । प०वि-विभाषा १।१ छन्दसि ७।१। अनु०-'एकश्रुति' इत्यनुवर्तते। अन्वय:-छन्दसि उदात्तानुदात्तस्वरितानां विभाषा एकश्रुति । अर्थ:-छन्दसि । वेदस्वाध्यायकाले उदात्तानुदात्तस्वरितानां विकल्पेनैकश्रुतिस्वरो भवति । पक्षे उदात्तानुदात्तस्वरितानां श्रवणमपि भवति । यथा (१) ओ३म् अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम् । होतारं रत्नधातमम् । ऋग्० १।१।१। (२) ओ३म् इषे त्वोर्जे त्वा वायव: स्थ देवो व: सविता प्रार्पयतु श्रेष्ठतमाय कर्मण आप्यायध्वमघ्न्या इन्द्राय भागं प्रजावतीरनमीवा अयक्ष्मा For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003296
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy