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अब मगावती की बात कहें। चेटक की तीसरी इस पूत्री का विवाह कोसाम्बी 'के राजा शतानीक से हुया था और वह विदेह की राजकुमारी के नाम से प्रख्यात थी। ' विनयविजयगणि कल्पसूत्र की सुबोधिका टीका में कहते हैं कि 'जब महावीर कोमाम्बी पाए तो उस देश में शतानीक राजा मगोवती और रानी'थी। राजा और रानी दोनों ही महावीर के अनन्य भक्त थे यह भी जैन साहित्य से प्रमाणित होता है । जिस कुटुम्ब के वातावरण में उसका पोषण व वर्धन हया था उसको देखते हुए मृगावती से स्वाभाविक ही ऐसी आशा रखी जा सकती थी। इतना ही नहीं अपितु जैन दन्तकथा स्पष्ट ही कहती है कि राजा का प्रात्मात्य और उसकी पत्नि भी जैनधर्मी थे।"
दधिवाहन और शतानीक में हुए युद्ध का वर्णन किया ही जा चुका है। ऐतिहासिक महत्व की दूसरी बात जैन साहित्य से यह मिलती है कि "उसका पुत्र और अनुगामी विबमार का समकालिक उदायन था।"' डॉ. प्रधान कहता है कि "उदायन के पितामह का सहस्रणीक नाम मास ने सहस्रानीक और पुराणों में वसुदामन दिया है । यह सहस्रानीक बिवसार का समसमयी था और महावीर का धर्मोपदेश उसने सुना था। जैन उसे सानीक कहते हैं जो सहस्रानीक का ही संक्षेप रूप है और संस्कृत सहस्राणीक का प्राकृत रूप । ससानीक ही पुराणों का वसुदामन है और उसे शतानीक 2 य का नाम का एक पुत्र था। उदागन इमी शतानीक 2 य पुत्र था।"
जनों के पांचवें अंगसूत्र भगवती का पूरा-पूरा समर्थन इस बात में विद्वान डॉक्टर को मिलता है।' हम यह भी उसमे जानते हैं कि शतानीक की बहन जयन्ति भी महावीर की दृढ़ अनुयायिनी थी ।। उदायन, उसके श्वसुर
शतानीक ही परंतप भी कहा जाता था । देखो हिस डेविड्स, वही, पृ. 3। 2. 'कोसाम्बी, कोमाम्बीनगर अथवा कोसम, जमना के वाम तटस्थित प्राचीन गाव जो कि इलाहाबाद से पश्चिम में
लगभग 30 मील दूर पर स्थित है।' दे, वही, पृ. 961 3. 'शतानीक...ने विदेह की राजकुमारी से विवाह किया था क्योंकि उसका पुत्र वैदेहीपुत्र कहा जाता था।' राय
चौधरी, वही, पृ. 84 । देखो लाहा. वि. च., वही, पृ. 136 । 4. प्रधान, वही, पृ. 250 । ततः क्रमेण कौशम्व्यां गतस्तत्र शतानीको राजा मृगावती देवी । कल्पसूत्र, सुबोधिका
टीका, सूत्र । ४, पृ. 106 । 5. महावीर केवलज्ञान प्राप्ति के पूर्व भ्रमण करते हुए एक बार कोसाम्बी पहुंचे थे। उस समय ऐसी घटना घटी
कि किमी अभिग्रह के कारगा भगवान् महावीर को कई दिनों तक वहां ग्राहार नहीं मिला और इसलिए मृगावतीपि...महता दुःखेनामितता...तेन (राज्ञा) ग्राश्वासिता तथा करिष्यामि यथा कल्प लभते...यावश्यकसूत्र,
पृ. 223 । देग्यो स्टीवन्सन, श्रीमती, वही, पृ. 40 । 6. सुगुप्तो, मात्यो. नन्दा तम्य भार्या, मा च श्रमणोपासिका. सा च श्राद्धीति मगवत्या वयस्या,... ग्रामात्यौपि
सपत्निक अागत: स्वामिनं वदन्ते,....अावश्यकत्र, पृ. 222, 225 । देखो कल्पसूत्र, सुबोधिका टीका,
सूत्र । 18, प. 1061 7. रायचौधरी, वही और वही स्थान । देखो वारन्यैट वही, प. 96, टिप्परग 2 । 8. प्रधान. वही और वही स्थान । "कथासरित्सागर" कहता है कि शतानीक का पुत्र सहसानीक उदायन का पिता
था । इस प्रकार कथासरित्सागर ने भूल से क्रम को उलटा दिया है।" देवो टानी (पंजर संस्करण), कथासरित्सागर, भाग I, .95-96 | रायचौधरी, वही, वही स्थान । 9. सहस्सारणीयस्स रन्नो पोत्ते सयाणीयस्स रनो पुत्ते ने डगम्म रन्नो नतुए मिगावीता देवीए अत्तए जयंतिए
समगोवामियाए मत्तिज्जए उदायणे नाम राया होत्था. आदि। -भगवती मूत्र 441, 4.556 । " 10. ताग मा जयंती समणोवासिया...पव्वइया जाव सव्वदुक्युप्पहीणा ।...-वहीं, सूत्र 443, पृ. 5581
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