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दूसरा अध्याय महावीर और उनका समय
पार्श्व के सम्बन्ध में अनेक बातें:
पहले अध्याय में महावीर के पुरोगामी पार्श्वनाथ, के सम्बन्ध में विचार किया गया था। जैनसूत्रों के अतिरिक्त अन्य साहित्य उनके विषय में सूचना कुछ भी दे सके ऐसा नहीं है । बौद्धसाहित्य में पार्श्वनाथ के चतुर्याम धर्म सम्बन्धी कुछ सूचनाएं मिली थी। परन्तु उसके सिवा उनके सम्बन्ध में जो भी हम जानते हैं, सब जैनसूत्रों से ही जानते हैं और वे ही सुत्र उस सबका जो कि उनके विषय में इतिहासवेत्ताओं और अन्य विद्वानों ने कहा है, भूल आधार है।
पार्श्वनाथ के सम्बन्ध में जैन जो कुछ भी कहते हैं उस सबको यहां कहने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इन अन्तिम दोनों तीर्थकरों के बीच के समय का इतिहास भी लिखा जाना सम्भव नहीं है। इसके दो कारण है । पहला तो यह कि उनके विषय में जो भी हम जानते है वह सब परम्परा और दन्तकथा पर ही आधारित है । दूसरा यह कि उसमें भी कितनी ही परस्पर विरोधी है। फिर भी इतना तो अवश्य ही कहा जा सकता है कि पार्श्वनाथ वाराणसी के राजा अश्वसेन के पुत्र थे और उनकी माता का नाम वामादेवी था। इसके सिवा जैन मान्यतानुसार उनके 16,000 साधु, 38,000 साध्वियां, 1,64,000 श्रावक और 3,27,000 श्राविकाएं थी। वे 100 वर्ष जीवित रहे थे और इसमें से उनके 70 वर्ष निर्वाण प्राप्ति के लिए ही बिताए यह भी कहा जाता है। [पार्श्वनाथ के 250 वर्ष पश्चात् महावीर का प्रादुर्भाव हुआ] ___ महावीर, जैन मान्यतानुसार, उनके पुरोगामी के लगभग 250 वर्ष बाद में हुए थे ।' महावीर का जन्म और अस्तित्व का समय भारतीय इतिहास का बुद्धिवादी युग कहा जाता है । इस युग की अवधि के सम्बन्ध में विदवान यद्यपि एक मत नहीं हैं, फिर भी सामान्य दृष्टि से ई. पूर्व 1000 से ई. पूर्व 200 इस युग की ग्रादि और अन्त सीमाएं मानी जा सकती हैं। भारतीय वीरगाथा-युग बीत चुका था । गंगा-घाटी के कोरब, पांचाल
1. कल्पसूत्र, सूत्र 150; और भी देखो अवतारद्वामास्वामिन्या उदरे...आदि । हेमचन्द्र, त्रिषष्टि-शैलाका, पर्व 9, श्लो. 2 3, पृ. 196; शाटियर, के. हि. इं., भाग 1, पृ. 154।। 2. कल्पसूत्र, सूत्र 161-164; दिगम्बर मान्यतानुसार इन संख्यायों में अन्तर है। 3. वही, सूत्र 168; और देखो सप्ततिव्रतपालनें । इत्यायुर्वत्सरशतं...आदि । हेमचन्द, वही, श्लोक 318, पृ. 219; मजुमदार, वही, पृ. 551। 4. श्री पार्श्वविर्वाणात पंचाशदधिकवर्षशतद्वयेन श्री वीरनिर्वाणं । कल्पसूत्र, सुबोधिका---टीका, पृ. 132 । क्योंकि महावीर निर्वाण के 250 वर्ष पूर्व उनका निर्वाण होना कहा जाता है, इसलिए वे ई. पू. 8वीं शती में सम्भवतः हुए होगे । कै. हि. ई., भाग 1, पृ. 153 । 5. देखो दत्त, वही, विषय सूची; मजुमदार, वही,विषय सूची।
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