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________________ 182 183 184 186 187 187 193 सातवां अध्याय-उत्तर का जैन साहित्य प्रास्ताविक विवेचन जैन सिद्धान्त 'श्वेताम्बर शास्त्रों के विषय में दिगम्बरों की मान्यता श्वेताम्बरों के लाभप्रद प्रतिपादन -चौदह पूर्व बारह मंग बारह उपांग दस पयन्ना या प्रकीर्णक छह छेदसूत्र चार मूलसूत्र दो चूलिका सूत्र जैन शास्त्रों की भाषा टीका साहित्य जो नियुक्ति नाम से परिचित है प्रयम टीकाकार भद्रबाहु महावीर के समकालीन धर्मदासगणि उमास्वामी और उनके ग्रन्थ सिद्धमेन दिवाकर और पादलिप्ताचार्य-जैन साहित्य के प्रभाविक ज्योतिर्थर 194 154 195 196 197 197 198 199 200 200 आठवां अध्याय-उत्तर में जैन कला 204 204 205 205 207 وا۔ स्थापत्य में जैन धर्म की विशिष्टता निदिष्ट युग के बाह्य के कितने ही स्थापत्य और चित्रकला के अवशेष निर्दिष्ट युग के अवशेष भारतीय कला की कितनी ही विशिष्टताएं उड़ीसा की गुफाएं-कला की दृष्टि से उनकी उपयोगिता जैनों में स्तूप-पूजा और मूर्तिपूजा मथुरा के अवशेष मथुरा के प्रायागपट देवों द्वारा निर्मित वोद्ध स्तूप मथुरा का तोरण स्थापत्य नेमेश की चातुर्यता दिखाने वाला सुशोभित शिल्प उपसंहार सामान्य ग्रन्थ सूची 210 211 213 214 215 217 218 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003290
Book TitleUttar Bharat me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal J Shah, Kasturmal Banthiya
PublisherSardarmal Munot Kuchaman
Publication Year1990
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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