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:: मूलग्रन्थ की चित्र सूची ::
1. जैन धर्म के तेईसवें तीर्थकर श्री पार्श्वनाथ (13 वीं सदी की ताडपत्रीय हस्तलिखित कल्पसूत्र से) 2. समेत शिखर पर्वत पर श्री पार्श्वनाथ का निर्वाण ( वही3. जैनों के तेईसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ (मथुरा) 4. नेगमेस द्वारा महावीर के गर्म का अपहरण बतानेवाली सुशोभित शिला (मथुरा)
भगवान् महावीर तेरहवें वर्ष में शालवृक्ष के नीचे सर्व श्रेष्ठ केवल ज्ञान प्राप्त किया
भगवान् महावीर के ग्यारह गणधर 7. बराबर टेकरी की तोमश ऋषि की गुफा 8. गुरु हेमचन्द्राचार्य और उनका शिष्य राजा कुमारपाल 9. खण्डगिरि पर की जैन गुफा, उदयगिरि पर को रानी गुफा के उपरिभाग के केवाल का दृश्य 10. उदयगिरि पर की स्वर्गपुरी की गुफाएं 11. खण्डगिरि पर के जैन मन्दिर 12. महाराजा श्री हरिगुप्त का सिक्का 13. जुनागढ़ पर की बाबा प्यारामल की गुफाए 14. सचित्र जैन ग्रन्थ का हस्तलिखित उदाहरण 15. उदयगिरि पर की गणेश गुफा के उपरिभाग के केवाल का दृश्य. वहीं की राणी गुफा के छज्जे की एक
किनार का भाग 16. ईटों का बना प्राचीन जैनस्तूप (मथुरा) 17. आयागपट अर्थात् पूजा की शिला (मथुरा) 18. शिवयशा द्वारा स्थापित पूजा की शिला (मथुरा) 19. जिन युक्त आयागपट-ई. पू. 1ली शती (मथुरा) 20. पामोहिनी द्वारा स्थापित पूजा की शिला (मथुरा) 21. मनुष्याकृतिवाले बाड़-स्थम्भ (मथुरा) 22. देव-निर्मित बौद्धस्तूप के कलाविधान का दृष्य 23. देवों और मनुष्यों द्वारा तीर्थकर को नमस्कार करना सूचित करते तोरण के दो पक्ष 24. तोरण का आगे और पीछे का भाग 23. नेमेस के चातुर्य से आनन्द प्रदर्शित करती नर्तिकाएं तथा संगीतकारों को दिखाती सुशोभित शिला 26. महावीर के गर्भ अपहरण दिखाती चार खण्डित मूर्तियां ।
233 क्राउन चौपेजी पृष्ट इस मूल अंग्रेजी पुस्तक में हैं। फूटनोट 1275 हैं। बंबई विश्वविद्यालय का एम. ए. डिग्री के लिए दिये निबंध को परिवर्धित-संशोधित कर इसे 1932 ई. लांगमैन्स ग्रीन एण्ड कपम्नी ने छपवाया था। उसका गुजराती अनुवाद सन् 1937 में वहीं से प्रकाशित हया था।
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