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________________ रागी और गणेश गुफाएं जय विजय, स्वर्गपुरी सिंह और सर्प गुफाएं इन बिखरे इनेगिने खण्डहरों की ऐतिहासिक उपयोगिता पार्श्व को समर्पित श्राधिपत्य खण्ड गिरि की टेकरी पर का जैन मन्दिर हाथी गुफा का शिलालेख शिलालेख की आठवीं पंक्ति और खारवेल का समय शिलालेख की वस्तु खारवेल और कलिंगजिन कलिंग में जैन धर्म की प्राचीनता खारवेल और जैन धर्म पांचवां अध्याय - मथुरा के शिलालेख खारवेल के पश्चात् उज्जैन के विक्रमादित्य का समय विक्रम संवत और सिद्धसेन दिवाकर विक्रम के पूर्वज गर्दभिल्ल पौर कालिकाचार्य कालिकाचार्य और प्रतिष्ठानपुर का सातवाहन सिद्धसेन दिवाकर और उनका समय पादलिप्ताचार्य और इनके सम्बन्ध की दंतकथाएं जैन साहित्य की ऐतिहासिकता और विक्रम व उसके संवत् का अस्तित्व मथुरा के शिलालेख धीर जैन धर्म के विषय में उनकी उपयोगिता मथुरा के जैन लेखों का मूल कंकाली टीला मथुरा के क्षत्रपों सम्बन्धी शिलालेख संवत्वाले और संवत् रहित कुशान शिलालेख मथुरा के शिलालेख धौर जैन धर्म के इतिहास को दृष्टि से उनकी उपयोगिता छठा अध्याय - गुप्तकाल में जैन धर्म को स्थिति कुशान समय से गुप्तों के प्रागमन तक की ऐतिहासिक भूमिका गुप्त साम्राज्य का विस्तार गुप्त समय में धर्म की परिस्थिति Jain Education International जैनों के प्रति गुप्तों की सहानुभूति के शिलालेखी प्रमाण कुवलयमाला दंतकथा और गुप्तकालीन जैन इतिहास वल्लभयों का उदय धौर गुप्तों का प्रत वल्लभोवंश का चौथा राजा प्रवसेन के पूर्व का समय और जैन इतिहास के निर्दिष्ट समय का अंत For Private & Personal Use Only 132 133 134 135 135 136 138 140 147 150 152 158 158 158 159 160 160 161 163 164 165 166 166 171 171 172 172 175 180 181 www.jainelibrary.org
SR No.003290
Book TitleUttar Bharat me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal J Shah, Kasturmal Banthiya
PublisherSardarmal Munot Kuchaman
Publication Year1990
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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