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पिंचिया, पीपल श्रादि के पाट में से एक का निश्चय करके बिछाने के लिये खुद मांगे या दूसरा दे तो ले ।
शय्या
२ ऊपर बताये हुए में से एक का निश्चय करके, उसे गृहस्थ के घर देखकर बिछाने के लिये मांगे या दूसरा दे तो ले ।
•
३. जिसके मकान में ठहरे, उसके यहां उपर की कोई बिछाने की वस्तु हो तो मांग ले या वह दे तो ले; नहीं तो उकहूँ या पालकी श्रादि मार कर बैठा रहे, सारी रात बितावे |
४. जिसके मकान में ठहरे, लकड़ी की पटरी तैयार पड़ी मिल नहीं तो उकडूं या पालकी बितावे । [ १०० - १०२ ]
उसके यहां ( मकान में ) पत्थर या जाय तो उसके पर सो जावे; आदि मार कर बैठा रहे, सारी रात
कभी न
इन चारों में से कोई एक नियम लेनेवाला ऐसा कहे कि, 'मैंने ही सच्चा नियम लिया है और दूसरों ने झूठा । परन्तु ऐसा समझे कि दूसरे जिस नियम पर चलते हैं और मैं जिस नियम पर चलता हूँ, वह जिन की आज्ञा के अनुसार ही है, और प्रत्येक यथाशक्ति आचार को पाल रहा है । [ १०३ ]
किस प्रकार विछावे और स ेवे !
स्थान मिलने पर भिनु उसको देख-भाल कर, भाड़-बुहार कर वहां सावधानी से श्रासन, बिछौना या बेठक करे । [ ६४ ]
बिछौने के लिये स्थान देखते समय श्राचार्य, उपाध्याय आदि तथा बालक, रोगी या अतिथि आदि के लिये स्थान छोड़कर, शेष स्थान में बीच में या अन्त में, सम या विषम में, हवादार या बन्द हवा में, सावधानी से बिछौना करे । [ १०७ ]
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