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________________ श्राचारांग सूत्र २] सोने के पहिले, भिन्नु मलमूत्र त्यागने के स्थान को जान ले । नहीं तो रात में मलमूत्र करने जाते समय वह गिर पड़े, हाथ-पैर में लग जाय या जीवों की हिंसा हो । [ १०६ ] सोते समय भिनु सिर से पैर तक शरीर को पोंछ ले । [ १०८ ] उस स्थान पर बहुत से मनुष्य सो रहे हों तो इस प्रकार वह सोवे कि उसके हाथ-पैर श्रादि दूसरों की न लगे; तथा सोने के बाद ( जोर से) सांस लेते सभय, छींकते समय, बगासी लेते समय, डकारते समय या वायु छोड़ते समय मुँहा या गुदा हाथ से ढाक कर सावधानी से उन क्रियाओं को करे । [ १०६ ] वहां पर बहुत से मनुष्य सो रहे हों और घर छोटा हो, ऊँचे नीचे दरवाजे वाला तथा भीड़ वाला हो तो उस मकान में रात में श्राते-जाते समय हाथ आगे करके फिर पैर रख कर सावधानी से श्रावे - जावे क्योंकि रास्ते में श्रमणों के पात्र, दंड, कमंडल, वस्त्र श्रादि इधर-उधर बिखरे पड़े हों और इस कारण असावधानी से श्रातेजाते समय भिक्षु वहाँ गिर पड़े, हाथ-पैर में लग जाय या जीवों की हिंसा हो । [] बिछाने की वस्तुओं को कैसे लौटावे ? बिछाने की वस्तुओं को भिक्षु जब गृहस्थ को वापिस दे तो ऐसी की ऐसी ही न दे दे पर उसके जीवजन्तु सान करके सावधानी से दे । [ १०५ ] समता भिडको सोने के लिये कभी सम जगह तो कभी विषम; कभी हवादार तो कभी बन्द हवा; कभी डांस मच्छर वाली तो कभी बिना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003238
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year1994
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_acharang
File Size6 MB
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